जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के नेता मौलाना महमूद मदनी ने कहा है कि लिब्रहान आयोग ने तथ्यों की पड़ताल ठीक ढंग से नहीं की. आजतक के साप्ताहिक कार्यक्रम 'सीधी बात' में उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट कहानी जैसी मालूम पड़ती है.
मदनी ने कहा कि रिपोर्ट में बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए जिम्मेदार लोगों को बचाया गया है. उन्होंने खुलकर नाम लेते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव को लिब्रहान आयोग ने बचा लिया, जबकि उन पर न केवल मस्जिद बचाने की जिम्मेदारी थी, बल्कि मस्जिद तोड़ने की योजना में भी वे शामिल थे. उन्होंने एक नारे का हवाला देकर कहा, 'ये अंदर की बात है, पीएम हमारे साथ है.'
बीजेपी के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी का जिक्र किए जाने पर उन्होंने कहा कि अटल जी ने मस्जिद विध्वंस से एक दिन पहले लखनऊ में सभा को संबोधित किया था. बाद में मस्जिद गिराई गई, इसलिए उन्हें भी क्लीनचिट नहीं दी जा सकती है.
मौलाना मदनी ने कहा कि इस मुल्क को अब उजाले की ओर जाना चाहिए, न कि अंधेरे की ओर. उन्होंने कहा कि देश को आगे की ओर देखना चाहिए. अब महंगाई और रोजगार के मसले पर बात होनी चाहिए. हालांकि वे यह दोहराने से नहीं चूके कि लिब्रहान रिपोर्ट में महज लीपापोती की गई है.
मदनी ने कहा कि अब राम मंदिर और बाबरी मस्जिद के मुद्दे पर किसी की दाल नहीं गलने वाली है. उन्होंने कहा कि इस मसले का हल ईमानदारी से किया जाना चाहिए, या फिर इसे कोर्ट पर ही छोड़ दिया जाना चाहिए. मदनी ने इस मसले के हल के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन की वकालत की.
यह पूछे जाने पर कि क्या लिब्रहान रिपोर्ट आने के बाद संघ परिवार जैसे संगठन फिर से एकजुट हो गए हैं, उन्होंने कहा कि इस तरह की कोई बात नहीं है. उन्होंने जोर देकर कहा कि यह मुसलमानों का नहीं, बल्कि पूरे देश का मसला है.
वंदे मातरम् के विरोध के मसले पर मदनी ने कहा कि 'वंदना' का मतलब अगर 'सलाम' है, तो वे सलाम करने को तैयार हैं. कुछ लोगों को मानना है कि 'वंदना' का मतलब 'पूजा' से है, इसलिए वे इसका विरोध करते हैं. उन्होंने कहा कि किसी पर कोई बात थोपा जाना गलत है. मदनी ने कहा कि यह कोई मुद्दा नहीं है, इसे मुद्दा बनाया गया है.