scorecardresearch
 

आजतक पर आतंक के लाइसेंस का भांडाफोड़

आजतक के स्टिंग ऑपरेशन में ये उजागर हुआ कि कैसे चंद रुपयों में अगर कोई आतंकवादी भी चाहे तो वोटर आईडी कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस बनवा सकता है. यानी सरकारी भ्रष्टाचार से आतंकवादियों को मिल सकता है लाइसेंस टू किल.

Advertisement
X

आए दिन ये खबर आती है कि आतंकवादियों की नकेल कसने के लिए सरकार और सुरक्षा एजेंसियां एड़ी-चोटी का जोर लगा रही हैं. सुरक्षा के ऐसे इंतजाम किये जा रहे हैं कि परिंदा भी पर नहीं मार सकता. फिर भी जब-तब आतंक का एक धमाका होता है, जिसमें सरकारी दावों के परखच्चे उड़ जाते हैं. आजतक के स्टिंग ऑपरेशन में ये उजागर हुआ कि कैसे चंद रुपयों में अगर कोई आतंकवादी भी चाहे तो वोटर आईडी कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस बनवा सकता है. यानी सरकारी भ्रष्टाचार से आतंकवादियों को मिल सकता है लाइसेंस टू किल.

Advertisement

हर धमाका हिंदुस्तान की छाती को छलनी कर जाता है और इन धमाकों की गर्द से निकलता है उन आतंकवादियों का चेहरा, जिनके जेहन में गद्दारी और दिमाग में नफरत का बारूद भरा होता है. आप इन चेहरों को अच्छी तरह से पहचानते होंगे. अबू जिंदाल, जो मुंबई में हुए 26-11 के आतंकी हमले का एक बड़ा मास्टर माइंड है. मुहम्मद फसीह, जो इंडियन मुजाहिदीन का वो आतंकवादी है, जिसकी तलाश हिंदुस्तान के दो-दो राज्यों की पुलिस को है. और इकबाल भटकल, जो कराची में बैठकर हिंदुस्तान में आतंक की आग फैलाने वाले इंडियन मुजाहिदीन को ऑपरेट करता है.

खुंखार आतंकवादी अबू जिंदाल इस वक्त मुंबई एटीएस के कैद में है, लेकिन इसका वोटर कार्ड दिल्ली के पास गाजियाबाद में बनकर तैयार हो गया. मुहम्मद फहीस सऊदी अरब की जेल में बंद है, लेकिन हिंदुस्तान में उसका भी वोटर आईडी कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस तैयार हो गया और जो इकबाल भटकल कराची में बैठा है, उसका भी वोटर आईडी कार्ड बन गया.

Advertisement

जो आतंकवादी मुंबई, कराची और सऊदी अरब में हैं, उनके वोटर आइडेंटिटी कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस कैसे बनकर तैयार हो गये. कैसे सरकारी बाबुओं और दलालों की साठगांठ में इन आतंकवादियों के मिल रहा है लाइसेंस टू किल. कैसे असली तस्वीर के साथ नकली पहचान पत्र से ये आतंकवादी बना सकते हैं नकली पासपोर्ट. कैसे सरकारी दफ्तरों और ट्रांसपोर्ट ऑफिस में बैठे अफसरों-बाबुओँ और बाहर बैठे दलालों की मिलीभगत से आतंकवादियों को मिल सकता है देश के किसी भी हिस्से में पनाह.

सउदी अरब की जेल में बंद मुहम्‍मद फसीह का बना ड्राइविंग लाइसेंस
आतंकियों के हाथ में सबसे खतरनाक हथियार बन्दूक या बम नहीं बल्कि ये सरकारी पहचान है जो उन्हें बेख़ौफ़ देश में घूमने और ब्लास्ट करने का हौसला देती है. दिल्ली और बैंगलोर में आतंक की आग लगाने वाला आतंकवादी मुहम्मद फसीह इस वक्त सऊदी अरब की जेल में बंद है. लेकिन ये जानकर आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी कि दिल्ली से सटे गाजियाबाद में उसके नाम और फोटो से बन गयी उसकी सरकारी पहचान.

एक दिमाग में आतंक का बारूद फूटा और पूरा शहर दहल उठा. एक उंगली पिस्तौल की ट्रिगर पर कसी और आतंक की गोली चल गयी. खौफ और दहशत की ऐसे ट्रेलर देने वाले आतंकवादी का नाम है मुहम्मद फसीह. जी हां, इंडियन मुजाहिदीन का ये वही आतंकवादी मुहम्मद फसीह है, जिसपर हिंदुस्तान में कई बम धमाकों की साजिश रचने के संगीन इलजाम हैं. जिसको हिंदुस्तान की अपील पर इंटरपोल तक तलाश रहा था और इंटरपोल की ही मदद से जिसे सऊदी अरब में गिरफ्तार किया गया.

Advertisement

लेकिन क्या आप सोच सकते हैं कि सऊदी अरब में गिरफ्तार आतंकवादी मुहम्मद फसीह का ड्राइविंग लाइसेंस हिंदुस्तान में तैयार हो गया. दिल्ली, मुंबई और कर्नाटक के गुनहगार का वोटर आईडी कार्ड सरकारी बाबुओं के दस्तखत से तैयार हो गया. तो इस असुविधाजनक सवाल का कड़वा और खौफनाक जवाब आपके पैरों तले जमीन खिसका देगा.

हिंदुस्तान का ये मोस्ट वांटेड आतंकवादी सऊदी अरब के जेल में बंद है और यहां हिंदुस्तान में देश की राजधानी के साये में स्थित गाजियाबाद में उसका वोटर आई कार्ड भी बन गया और ड्राइविंग लाइसेंस भी. बस अधिकारियों और उनके इशारे का इंतजार करते सरकारी दफ्तर के बाहर बैठे दलालों की आंखों पर रुपयों की पट्टी बांध दीजिए और फिर देखिए कि कैसे सात समंदर पार बैठा एक आतंकवादी गाजियाबाद का निवासी बन जाता है. आतंक के कड़वे घूंट हर रोज पीने वाले हिंदुस्तान को इसी कड़वी सच्चाई से रूबरू कराने के लिए आज तक ने एक बेहद सीक्रेट अंडर कवर ऑपरेशन के ज़रिये इस रैकेट को बेनकाब करने की कोशिश की, ताकि देश के सामने इस खतरनाक धांधली को लाया जा सके.

पैसे दीजिए और किसी का भी लाइसेंस बनवाइए
पैसे पर बिकते ईमान और अफसर-दलाल की साठगांठ का पर्दाफाश करने के लिए आजतक की टीम पहुंची गाजियाबाद के आरटीओ ऑफिस में. यहां सही पहचान पर ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के लिए वेब कैमरा और ऑन लाइन सिस्टम का बंदोबस्त है. लेकिन गर्म जेब की आंच पर कैसे सारा सिस्टम पिघल जाता है और कैसे आतंकवादियों को मिल जाता है लाइसेंस टू किल, इसे परखने के लिये हम इस गिरफ्तार आतंकवादी की फोटो लेकर ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए पहुंच गये.

Advertisement

ट्रांसपोर्ट दफ्तर के बाहर दलालों की पूरी जमात इकट्ठा थी और वहां आजतक की टीम पहुंची एक दलाल के पास. दलाल को इस आतंकवादी की फोटो दी और फौरन वो फॉर्म भरकर बगैर किसी जांच पड़ताल के ही अधिकारियों के पास पहुंच गया. फॉर्म जमा कराने और फोटो खिंचवाने के बाद, उसने हमें दूसरे ही दिन लर्निंग लाइसेंस देने की बात कही. दूसरे दिन जब हमें लाइसेंस मिला तो हम हैरान थे कि कैसे बिना किसी पड़ताल के ही एक आतंकवादी का लाइसेंस बन गया.

इस लाइसेंस को लेकर आजतक की टीम ट्रांसपोर्ट दफ्तर के उन अधिकारियों के पास पहुंची जिनके पास लाइसेंस बनाने और उसकी जांच पड़ताल का जिम्मा होता है. सबसे पहले टीम पहुंची रीजनल इंस्पेक्टर ए के सिंह और वी के वर्मा के पास. दरअसल ये दोनों अधिकारी, ए के सिंह और वी के वर्मा की जिम्मेदारी है लाइसेंस के फॉर्म को चेक करने की. यही दोनों अधिकारी तय करते हैं कि सरकार का अहम लाइसेंस गलत नाम और पते से जारी न हो जाये. यही वजह है कि जब आजतक टीम ने दोनों को ये बताया कि लाइसेंस पर लगी फोटो गलत है लेकिन वो मानने को तैयार नहीं थे.

इंसपेक्टर के पी सिंह को जब बताया गया कि इस लाइसेंस में आपके रिकॉर्ड में फोटो बदल दी गई है. यानी आरटीओ के वेब कैमरे पर फोटो किसी और ने खिचवाई और लाइसेंस पर फोटो फसीह महमूद की लगा दी गई है. इस बारे में वेब कैम से फोटो खिंचवाने और उसे वेरीफाई करने वाले आरटीओ अधिकारी वीके वर्मा से आजतक टीम ने मुलाकात की. इस पर वर्मा ने भी अफसरों-दलालों की मिलीभगत से चलने वाले गोरखधंधे को बेनकाब करने की जगह वो खुद को सही ठहराने में ही जुटे रहे.

Advertisement

अब सवाल दलाल का नहीं, बल्कि उस ट्रांसपोर्ट ऑफिस की साख का हो चुका था, जिसकी दरो-दीवार को रिश्वत का दीमक चाट चुका है. इसीलिए जब आजतक ने मुहम्मद फसीह के ड्राइविंग लाइसेस के वेरिफिकेशन की बात उठायी, तो इंस्पेक्टर साहब का जवाब गोलमोल था. मामला संगीन होता देख बात नरेंद्र शर्मा पर आ गयी. इन जनाब का काम है ड्राइविंग लाइसेंस में लगी फोटो को चेक करना. लेकिन जिस वक्त आतंकवादी मोहम्मद फसीह की फोटो फॉर्म पर चिपकाई गईं तब शायद शर्मा जी की आखें धोखा खा गईं.

अबु जिंदाल को भी आसानी से मिल गई सरकारी पहचान
26-11 के आतंकवादियों को मुंबई का रास्ता दिखाने और अपने देश पर हमला कराने का गुनहगार है अबू जिंदाल. वो जिंदाल बड़ी मुश्किल से पिछले दिनों सुरक्षा एजेंसियों के हाथ लगा. लेकिन उस अबू जिंदाल की पहचान भी बड़ी आसानी से एक सरकारी दफ्तर से निकल गया. जी हां, जिस गाजियाबाद में मुहम्मद फसीह का वोटर कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस बन गया, वहीं पर अबू जिंदाल के नाम पर भी उसके फोटो वाला ही वोटर कार्ड तैयार हो गया.

दलालों और सरकारी बाबुओं की मेहरबानी से. क्या आप ये यकीन करेंगे कि बेगुनाहों को मौत बांटने वाले इस आतंकवादी के वोटर आईडी कार्ड बड़े आसानी से बन सकते हैं. वो भी बहुत दूर नहीं, बल्कि देश की राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद में ही ये मुमकिन है, वो भी सरकारी दफ्तर से. आप कायदे-कानून से चलिए तो आपके वोटर आईडी कार्ड बनने में सौ अड़ंगे आएंगे, लेकिन सरकारी बाबुओं और सरकारी दफ्तरों के बाहर घूमते दलालों की जेब गर्म कर दीजिए, तो अबू जिंदाल जैसे आतंकवादी का भी वोटर आईडी कार्ड बन जाएगा. अबू जिंदाल की तस्वीर सही है, उसका नाम सही है, लेकिन उसके नाम और तस्वीर पर ये नकली वोटर कार्ड बन गया.

Advertisement

आजतक टीम ने जहां से आतंकवादियों के वोटर कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस बनवाए, वहां पुलिस भी मौजूद थी. लेकिन खुली आंखों से भी कुछ भी नहीं देखने वाली. आखिर हर दलाल से इन पुलिस वालों की जेब में 300-300 रुपये जो जाते हैं. ये बात खुद ये दलाल ने कही. दिल्ली से सटे नोएडा में भी पैसे देकर आप किसी के नाम ड्राईविंग लाईसेंस बनवा सकते हैं. अगर कागज़ अधूरे है तो 1500 रुपए और अगर पूरा है नकली पता चाहिए तो 3000 रेट है.

नोएडा और दिल्ली के बाहर तो अंधेरगर्दी और भी ज्यादा है. आपको RTO ऑफिस जाने की ज़रूरत ही नहीं. पैसा दीजिये और सरकारी लाईसेंस ले लीजिये. कमोबेश यही हाल दिल्ली से सटे फरीदाबाद का है जहां दलाल 3500 रुपये में लाइसेंस बनवाने का ठेका लेते हैं. आतंकवादियों को खोजते-खोजते कई बार पुलिस की फाइलें क्लोज जो जाती हैं और ये इसलिए होता है कि ऐसी ही नकली पहचान के जरिए आईएम से लेकर लश्कर तक के तमाम आतंकवादी देश में भेष बदलकर घूम कर रहे हैं. हाथ में लेकर लाइसेंस टू किल.

यूपी के दूसरे इलाकों का भी है यही हाल
अफसरों-बाबुओँ और दलालों का ये नापाक गठजोड़ सिर्फ गाजियाबाद में ही नहीं चल रहा है बल्कि उत्तर प्रदेश के दूसरे इलाकों में भी ये धड़ल्ले से जारी है. और इसका सबसे बड़ा सबूत है इंडियन मुजाहिद्दीन के सरगना आतंकवादी इकबाल भटकल का वोटर कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस बन जाना. इकबाल भटकल तो कराची में बैठा है, लेकिन उसकी फोटो और नाम से पहले फर्जी वोटर आईडी कार्ड बन गया और फिर लाइसेंस. अब इस पर अधिकारियों से सफाई देते नहीं बन रहा है. इकबाल भटकल को देश और दुनिया की पुलिस ढूंढ़ रही है. इंटेलिजेंस रिपोर्ट के मुताबिक, इकबाल भटकल एक अरसे से कराची में छुपा हुआ है. लेकिन सवाल है कि क्या ऐसे आतंकवादी के नाम पर वोटर आईडी कार्ड बन सकता है? ऐसे आतंकवादी को ड्राइविंग लाइसेंस मिल सकता है?

Advertisement

लेकिन ये अहम सरकारी दस्तावेज हिंदुस्तान के इस फरार आतंकवादी के नाम और तस्वीर पर तैयार हो गया और वो भी इसी महीने में. मुहम्मद फसीह और अबू जिंदाल जैसे आतंकवादियों के बाद आजतक की टीम ने सोचा कि क्या इनके सरगना इकबाल भटकल का भी ड्राइविंग लाइसेंस और वोटर आईडी कार्ड बन सकता है. और क्या गाजियाबाद-नोएडा से बाहर भी बन सकता है.

इसे परखने के लिए आजतक की टीम उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद पहुंची, जहां पता चला कि मदनी नामका एक शख्स ड्राइविंग लाइसेंस और वोटर आईडी कार्ड बनवाने का काम करता है. हम सीधे मदनी से टकराए और हमने उसको इकबाल भटकल की फोटो दिखाकर पूछा कि क्या 24 घंटे के भीतर इस शख्स के नाम ड्राइविंग लाइसेंस मिल सकता है. मदनी ने चंद घंटों में ही हमें पहले तो कराची में बैठे इकबाल भटकल का वोटर आईडी कार्ड मुरादाबाद में दे दिया. लेकिन ड्राइविंग लाइसेंस के लिए उसने कहा कि इसे तो वो किसी और जिले से बनवा देगा.

अगले ही दिन मदनी के कहने पर मुरादाबाद के पास ही एक दुकान पर हम पहुंचे, जहां एक लड़के ने इकबाल भटकल का हेवी वेहिकल चलाने का ड्राइविंग लाइसेंस हमें दे दिया. लाइसेंस मिलते ही हमनें गौर किया कि मुहर और लाइसेंस दोनो ही शिकोहाबाद के ट्रांसपोर्ट ऑफिस से जारी हुआ है. लेकिन जब शिकोहाबाद के आरटीओ से पूछा गया तो उनका कहना था, 'जिस सीरीज का ये है, वो हमारे यहां का नहीं है.' इकबाल भटकल की सीरीज भले ही शिकोहाबाद के आरटीओ रजिस्टर से मेल ना खाता हो, लेकिन लाइसेंस और कार्ड तो यही बताते हैं कि कहीं कुछ बहुत बडा गड़बड़झाला है.

और इस खबर पर उत्तर प्रदेश सरकार भी मान रही है कि सिस्टम में गड़बड़ तो जरूर है. सूबे के परिवहन मंत्री का मानना है कि अगले एक साल में वो फुलप्रूफ इंतजाम कर लेंगे ताकि किसी खूंखार आतंकवादी की सरकारी पहचान ना बने.

Advertisement
Advertisement