चार साल के सौतेले पुत्र की हत्या के दोषी को निचली अदालत द्वारा सुनाई गई उम्र कैद की सजा दिल्ली उच्च न्यायालय ने यह कहते हुए बरकरार रखी है कि दोषी का इरादा बच्चे को अपने साथ रखने का नहीं था. पश्चिम दिल्ली में तिलक नगर इलाके के खयाला में रहने वाले हरदयाल सिंह ने उम्र कैद की सजा के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की थी.
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और सिद्धार्थ मृदुल की पीठ ने इस अपील को खारिज करते हुए कहा, ‘दोषी ठहराए जाने के आदेश तथा निचली अदालत द्वारा सुनाई गई सजा के फैसले में हमें कुछ भी गलत नहीं लगा इसलिए इसके खिलाफ दायर की गई अपील खारिज की जाती है.’
उन्होंने कहा ‘वर्तमान मामले में कथित आरोप के पीछे इरादा साफ था. मृतक अपीलकर्ता का सौतेला पुत्र था और उसे अपने साथ रख कर अपीलकर्ता खुश नहीं था.’ अदालत ने मृतक की मां की गवाही पर भरोसा किया. मां ने पुलिस में शिकायत की थी कि सिंह उसके पहले पति के पुत्र के साथ रह कर खुश नहीं था.
बयान में मां ने कहा था कि सिंह अक्सर सौतेले पुत्र से झगड़ा करता था और उसे बुरी तरह पीटता था. वह कई बार उसे कहता था कि वह सौतेले बच्चे को उसके नाना नानी के पास भेज दे लेकिन मां मना कर देती थी.
अदालत ने अभियोजन पक्ष का यह दावा स्वीकार कर लिया कि बच्चा आखिरी बार सिंह के साथ देखा गया था. पीठ ने कहा, ‘हमारी राय में अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए सबूतों से साफ हुई परिस्थितियां अपीलकर्ता के अपराध की ओर संकेत करती हैं.’ पीठ ने कहा ‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि परिस्थितियां पूरी तरह स्पष्ट हैं.’
प्राथमिकी में कहा गया था कि छह नवंबर 2006 की शाम को सिंह बच्चे को साइकिल पर घुमाने ले गया लेकिन वापस आया तो बच्चा साथ नहीं था. तीन दिन बाद सिंह के खुलासे के आधार पर पुलिस ने बच्चे का शव बरामद किया.