प्रयागराज कुंभ में आज से विश्व हिंदू परिषद की अगुवाई में होने वाली धर्म संसद से पहले सियासी एक्टिविटी तेज हो गई है. RSS प्रमुख मोहन भागवत विश्व हिन्दू परिषद की धर्म संसद में पहुंचे. यहां सबरीमाला के मुद्दे पर मोहन भागवत ने कहा, ''कोर्ट ने कहा महिला अगर प्रवेश चाहती है तो करने देना चाहिए, अगर किसी को रोका जाता है तो उसको सुरक्षा देकर जहां से दर्शन करते हैं वहां ले जाना चाहिए. लेकिन कोई जाना ही नहीं चाह रहा है. इसलिए श्रीलंका से लाकर लोगों को पीछे के दरवाजे से घुसाया जा रहा है.''
उन्होंने कहा कि सबरीमाला के मुद्दे पर फैसला देते हुए कोर्ट ने करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं का विचार नहीं किया. उन्होंने कहा कि भगवान अयप्पा के चार मंदिर हैं, सिर्फ एक ही ब्रह्मचर्य रूप में है. महिला का प्रवेश ना करना वहां की परंपरा है.
धर्म संसद से पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरुवार सुबह मोहन भागवत से मिले. प्रयागराज में वीएचपी की दो-दिवसीय धर्मसंसद में देशभर से ढाई हजार साधु संतों के शामिल होने की उम्मीद है.
विश्व हिंदू परिषद की धर्मसभा में राम मंदिर पर विस्तार से चर्चा होगी. इसके अलावा नृत्यगोपाल दास समेत कई अन्य धार्मिक गुरु भी इसमें शामिल हो रहे हैं. गोरक्षा और गंगा पर भी मंथन होगा. वीएचपी की धर्मसंसद से पहले शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की अध्यक्षता में हुई परम धर्म संसद ने मामले को और तेज कर दिया है. परम धर्मसंसद ने प्रयागराज कुंभ से बुधवार को राम मंदिर बनाने का ऐलान किया और कहा कि 21 फरवरी को साधु संत इसका शिलान्यास करेंगे.
कुंभ में द्वारका-शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की अगुवाई में चली तीन दिवसीय परम धर्म संसद ने बुधवार को धर्मादेश जारी कर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए तारीख का ऐलान कर दिया. यह धर्मादेश प्रयागराज में ही विश्व हिंदू परिषद की अगुवाई में होने वाली धर्म संसद के एक दिन पहले आया है. वीएचपी की धर्म संसद से पहले जारी इस धर्मादेश से साधु-संतों के बीच राम मंदिर निर्माण को लेकर धर्मायुद्ध छिड़ने की संभावना है.
ज्योतिष पीठाधीश्वर स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि बसंत पंचमी के बाद हिंदू समाज अयोध्या के लिए प्रस्थान करे, ऐसी मेरी अपील है. धर्मादेश में कहा गया, 'सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रथम चरण में हिंदुओं की मनोकामना की पूर्ति के लिए यजुर्वेद, कृष्ण यजुर्वेद तथा शतपथ ब्राह्मण में बताए गए इष्टिका न्यास विधि सम्मत कराने के लिए 21 फरवरी, 2019 का शुभ मुहूर्त निकाला गया है.'
धर्मादेश में यह भी कहा गया कि, 'इसके लिए यदि हमें गोली भी खानी पड़ी या जेल भी जाना पड़े तो उसके लिए हम तैयार हैं। यदि हमारे इस कार्य में सत्ता के तीन अंगों में से किसी के द्वारा अवरोध डाला गया तो ऐसी स्थिति में संपूर्ण हिंदू जनता को यह धर्मादेश जारी करते हैं कि जब तक श्री रामजन्मभूमि विवाद का निर्णय नहीं हो जाता अथवा हमें राम जन्मभूमि प्राप्त नहीं हो जाती, तब तक प्रत्येक हिंदू का यह कर्तव्य होगा कि चार इष्टिकाओं को अयोध्या ले जाकर वेदोक्त इष्टिका न्यास पूजन करें.'
साथ ही साधू-संतों ने धर्मादेश में कहा, 'न्यायपालिका की शीघ्र निर्णय की अपेक्षा धूमिल होते देख हमने विधायिका से अपेक्षा की और 27 नवंबर, 2018 को परम धर्मादेश जारी करते हुए भारत सरकार एवं भारत की संसद से अनुरोध किया था कि वे संविधान के अनुच्छेद 133 एवं 137 में अनुच्छेद 226 (3) के अनुसार एक नई कंडिका को संविधान संशोधन के माध्यम से प्रविष्ट कर उच्चतम न्यायालय को 4 सप्ताह में राम जन्मभूमि विवाद के निस्तारण के लिए बाध्य करे.'