राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ संसद का बजट सत्र शुरू हो गया है. अभिभाषण के बाद पिछले साल अर्थव्यवस्था का लेखाजोखा यानी आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया गया है. सर्वेक्षण की रिपोर्ट को आने वाले बजट की झलक के तौर पर देखा जाता है. इस साल नोटबंदी के मद्देनजर सर्वेक्षण को खासा अहम माना जा रहा है. सर्वेक्षण पेश होने के बाद मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा कि अर्थव्यवस्था के मेक्रोइकोनॉमिक इंडिकेटर मजबूत हैं. उन्होंने जीएसटी, बैंक करप्सी बिल, आधार बिल, एफडीआई की नीतियों में खुलेपन को बीते साल की सबसे बड़ी आर्थिक उपलब्धियों में गिनवाया.
आर्थिक सर्वेक्षण की खास बातें:
-आर्थिक सुधारों के चलते भारत दुनिया में एफडीआई पाने वाले अव्वल देशों में शामिल हुआ.
-नोटबंदी से अल्पावधि में नुकसान लेकिन लंबे वक्त में फायदा
-2016-17 में सर्विस सेक्टर की ग्रोथ रेट 8.9 फीसदी रहने का अनुमान.
-यूनिवर्सल बेसिक इनकम प्रपोजल (UBI) पर जीडीपी का 4-5 फीसदी खर्च होगा.
-नोटबंदी से उपजी कैश की कमी अप्रैल 2017 तक दूर होने की उम्मीद.
-तेल की कम कीमतों और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना से अर्थव्यवस्था को फायदा.
-नोटबंदी के चलते मार्केट ब्याज दर कम रही.
- वित्तीय घाटा जीडीपी का 3.5 फीसदी करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध.
-2017-18 में जीडीपी विकास दर 6.5-7.5 फीसदी रहने का अनुमान
- कृषि क्षेत्र की विकास दर 4.1 फीसदी रहने का अनुमान
-सामाजिक न्याय और तेज तरक्की के लिए सुधारों पर जोर
- 2016-17 में उद्योग क्षेत्र की विकास दर 5.2 फीसदी रहने का अनुमान
- कपड़ा और चमड़ा उद्योग में तेजी के लिए लेबर और टैक्स नीति में सुधारों की सिफारिश
-2016-17 के पहले हिस्से में में वित्तीय घाटा जीडीपी का 0.3 फीसदी
-महंगाई दर लगातार तीसरे साल काबू में रही
- 1983 से 2014 के बीच Gross State Domestic Product (GSDP) में सुधार
-जीएसटी से आर्थिक फायदा मिलने में वक्त लगेगा
चालू वर्ष 2016-17 के लिए स्थिर मूल्यों पर सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत: #EconomicSurvey pic.twitter.com/dC6ZBXC46k
— पीआईबी हिंदी (@pibhindi) January 31, 2017