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SC-ST कानून पर चिराग पासवान का मोदी सरकार को अल्टीमेटम

लोकसभा चुनाव से पहले चिराग पासवान के तेवर से मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं. चिराग पासवान ने एनजीटी चेयरमैन को हटाने की मांग की है. मोदी सरकार के लिए उनको हटाना आसान नहीं होगा.

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चिराग पासवान
चिराग पासवान

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बीजेपी के एक और सहयोगी दल लोकजनशक्ति पार्टी (एलजेपी) ने मोदी सरकार के फैसले के खिलाफ आवाज उठाई है. एलजेपी ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश ए के गोयल की एनजीटी में अध्यक्ष के तौर पर नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं. एलजेपी अध्यक्ष रामविलास पासवान के बेटे और सांसद चिराग पासवान ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर 9 अगस्त से पहले हमारी बातें नहीं सुनी गईं तो दलित सेना भी दलितों के मुद्दों को लेकर सड़क पर उतर जाएगी. उन्होंने कहा कि दलितों के सब्र का बांध टूट रहा है.

आपको बता दें टीडीपी पहले ही आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य के दर्ज की मांग को लेकर सरकार से अलग हो चुकी है, तो वहीं शिवसेना अक्सर सरकार के खिलाफ कई मुद्दों पर आवाज उठाती रहती है और हाल ही में उसने अविश्वास प्रस्ताव पर सरकार का साथ भी छोड़ दिया था.

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पासवान ने कहा कि 9 अगस्त से पहले सरकार एससी-एसटी कानून को लेकर अध्यादेश लाए, या संसद के इसी सत्र में एससी-एसटी बिल पर संसोधन लाए. पासवान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ए के गोयल दलित विरोधी हैं. आपको बता दें कि ए के गोयल ने ही एससी-एसटी कानून पर फैसला दिया था. पासवान ने कहा कि सरकार ने रिटायर्ड होने के बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का चेयरमैन बनाकर उन्हें पुरस्कृत किया है. हमारी मांग है कि गोयल को तुरंत हटाया जाए.

पासवान ने कहा कि मुझे उम्मीद है सरकार इस पर जल्दी ही कोई फ़ैसला लेगी.  सरकार ने एससी-एसटी एक्ट को लेकर जो मंत्रियों का समूह बनाया है उसमें रामविलास पासवान भी हैं. उनका भी मत है कि एससी-एसटी अध्यादेश लाया जाना चाहिए. एलजेपी सांसद ने कहा कि मुझे सरकार और प्रधानमंत्री पर पूरा भरोसा है.

आपको बता दें कि रिटायर्ड जस्टिस एके गोयल सुप्रीम कोर्ट की उस पीठ का हिस्सा थे, जिसने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) कानून में सुरक्षा के कई ऐसे उपाय किए थे, जिनकी कई दलित संगठनों और प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने आलोचना की थी.

लोकसभा चुनाव से पहले चिराग पासवान के तेवर से मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं.  इस मसले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की चिंता बढ़ गई है. इसकी वजह यह है कि इस मुद्दे पर मोदी सरकार द्वारा किसी भी तरह का कदम ठीक नहीं है, क्योंकि यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.

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इसके अलावा एके गोयल को एनजीटी चैयरमेन पद से हटाने की मांग को भी मानना मोदी सरकार के लिए आसान नहीं है. अगर सरकार ऐसा करती है, तो यह संदेश जाएगा कि सरकार ने अपने घटक दल के दबाव में आकर ऐसा फैसला लिया है.

अध्यादेश लाने पर विचार कर रही मोदी सरकार

सूत्रों के मुताबिक मामले को बढ़ता देख मोदी सरकार संसद के मानसून सत्र के बाद एससी-एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम पर अध्यादेश लाने पर विचार कर रही है. सरकार की दिक्कत यह है कि एक तरफ विपक्ष सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा है, तो दूसरी तरफ समय-समय पर उसके सहयोगी दल भी इस तरह के मुद्दे उठाकर सरकार को कटघरे में खड़ा करते रहते हैं.

सूत्रों के मुताबिक अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के विभिन्न संगठनों और समूहों के नेताओ के साथ मोदी सरकार के वरिष्ठ मंत्री बातचीत करेंगे. वो एससी-एसटी(अत्याचार निवारण) अधिनियम पर सरकार के अगले कदमों की जानकारी देकर नौ अगस्त को भारत बंद न करने की अपील कर सकते हैं.

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