भूमि अधिग्रहण कानून पर मोदी सरकार चारों तरफ से घिरती हुई नजर आ रही है. विपक्ष ने तो पहले से ही बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है अब अपनों ने भी यानी एनडीए के साथियों ने भी इस अध्यादेश को लेकर सवाल उठाना शुरू कर दिया है.
शिवसेना के विरोध के बाद अब केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी ने बिल के कुछ प्रावधानों को लेकर चिंता जाहिर की है. उन्होंने सरकार से इन प्रावधानों पर और स्पष्टता की मांग की है. इसके अलावा केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने भी इस कानून पर आपत्ति दर्ज कराई है.
एलजेपी के सांसद चिराग पासवान ने कहा कि हमारी पार्टी संशोधित कानून में किसानों से उनकी जमीन के अधिग्रहण के बारे में सहमति से जुड़े प्रावधान से सहमत नहीं है. संशोधित कानून NDA सरकार एक अध्यादेश के जरिए ले कर आई है और संसद की मंजूरी लेने के लिए इसे लोकसभा में पेश किया गया है.
चिराग ने संवाददाताओं से कहा ‘हमें कुछ कदमों पर आपत्ति है. किसानों की सहमति को नजरअंदाज करने पर सवाल उठते हैं. यहां तक कि उन्हें अदालत में जाने का भी अधिकार नहीं है.’ बुधवार को एलजेपी की एक बैठक हुई जिसमें उसके सभी छह सांसदों ने भाग लिया. सभी सांसद बिहार से हैं.
बैठक में भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव पर चिंता जाहिर की गई.अपनी पार्टी के संसदीय दल के नेता चिराग पासवान ने बताया कि मंगलवार को NDA के सदस्यों की बैठक में एलजेपी ने अपने विचार रखे थे. उन्होंने कहा कि विकास के लिए उद्योगों को बढ़ावा देने की जरूरत है और NDA का मुख्य चुनावी मुद्दा भी यही था. साथ ही सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास’ की बात भी करती है. उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए नए कानून पर किसानों को विश्वास में लेने की जरूरत है.
चिराग पासवान ने कहा कि जमीन की कीमत से चार गुना अधिक मुआवजा किसानों को देने संबंधी उपबंध को लेकर भी भ्रम है जिसे दूर करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि सरकार की दर और वास्तविक दर में अंतर है और यह भी साफ नहीं है कि क्या मुआवजा किसान के अनुसार तय होगा या वास्तविक दर के अनुसार तय होगा. NDA में शामिल शिवसेना और अकाली दल भी इस विधेयक के कुछ प्रावधानों पर ऐतराज जता चुके हैं.
इनपुट: भाषा