बच्चों को पढ़ाया-लिखाया, नौकरी के लिए बाहर भेजा, लेकिन अब हालत यह है कि जान पर बन आई है पर उन्हें वापस बुलाने का फैसला भी आसान नहीं है. ऐसी कहानी इराक में फंसी नर्स के अभिभावकों की है, जिन्होंने लोन लेकर बेटी को नर्स बनाया है और वापस बुलाने में महाजन का डर है और ना बुलाने पर जान जाने का डर.
इराक में गृहयुद्ध चल रहा है. वहां कई भारतीय भी फंसे हैं. इन भारतीयों में कई केरल की नर्सें हैं, जिनके अभिभावक टीवी पर इराक के युद्ध पर नजरें टिकाए हुए हैं. आज तक इन नर्सों के परिवारवालों से मिला और इनकी परेशानियों को जाना. इनसे बातचीत पर पता चला कि इन्होंने लाखों रुपये लोन लेकर, सोना गिरवी रखकर अपनी बच्चियों को ईराक भेजा था पर अब हालत ये है कि चाहकर भी वापस नहीं बुला पा रहे हैं.
ऐसी ही एक नर्स सीमोल इराक में हैं और उनका परिवार यहां परेशान हो रहा है. सीमोल छह महीने पहले ही ईराक गई थी. इनके पिता पेड़ काटते हैं और मां घर में ही रहती हैं. इनकी मासिक आय चार हजार रुपये हैं. सीमोल के अभिभावकों ने उन्हें इराक भेजने के लिए डेढ़ लाख रुपये का लोन 14 पर्सेंट इंटरेस्ट पर लिया है.
अभिभावकों ने बताया कि सीमोल से अब फोन पर ही बातचीत हो रही है और वो लगातार ये बता रही है कि वहां युद्ध चल रहा है, गोलियां चल रही है, बम बरसाए जा रहे हैं. सीमोल के पिता ने बताया कि उन्होंने सीमोल को जिस एजेंसी के जरिए इराक भेजा उसे 1.6 लाख रुपये दिए हैं. उन्होंने कहा कि परिस्थिति को देखते हुए हम उसे वापस बुला लेंगे, लेकिन उसकी जान के साथ नहीं खेलेंगे, लोन किसी तरह चुका देंगे.
सीमोल की तरह कई नर्सें वहां फंसी हुई हैं जो कि वापस नहीं आ सकती, क्योंकि उनका परिवार यहां गरीबी में है और उन्होंने 3-4 लाख रुपयों का लोन लिया हुआ है.