सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी एसटी एक्ट के तहत गिरफ्तारी और जमानत के नियमों में बदलाव करने के खिलाफ विरोध बढ़ता जा रहा है. विपक्ष के साथ-साथ अब सरकार के अपने सांसदों और सहयोगी दलों ने भी दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया है. एनडीए के घटक दल लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) सुप्रीम कोर्ट में इस केस में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने जा रही है.
लोजपा के नेता और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने गुरुवार को कहा, सरकार को एससी/एसटी एक्ट में गिरफ्तारी के नियमों में बदलाव के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करनी चाहिए. हमारी पार्टी सरकार से मांग करती है कि वह शीर्ष कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करे.
रामविलास पासवान के बेटे और सांसद चिराग पासवान ने कहा कि उनकी पार्टी अपनी तरफ से सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल दाखिल करने जा रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत गिरफ्तारी के नियमों में बदलाव करते हुए कहा था कि इस कानून के दुरुपयोग की शिकायतों की वजह से गिरफ्तारी के नियमों में बदलाव करना जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में इस कानून के तहत गिरफ्तारी में अंतरिम जमानत का भी प्रावधान कर दिया था, जो पहले नहीं था.
रामविलास पासवान ने इस मामले में पहले अपनी लोक जनशक्ति पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की. इसके बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इस एक्ट के नियमों में ढील देने की वजह से दलितों के खिलाफ अत्याचार के मामले बढ़ जाएंगे. पहले गिरफ्तारी के चलते लोग कमजोर लोगों पर अत्याचार करने से दूर रहते थे. मगर अब गिरफ्तारी में मुश्किल होने और जमानत के प्रावधान के बाद लोगों का यह डर खत्म हो गया है. उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अनुसूचित जाति के लोगों में निराशा का माहौल है.
बीजेपी दलित विरोधीः कांग्रेसगौरतलब है कि राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर सरकार पर करारा हमला बोला और कहा था कि सरकार दलितों के हितों की रक्षा करने के लिए कोर्ट में ठीक से पैरवी नहीं कर पाई क्योंकि बीजेपी और आरएसएस दलित विरोधी हैं. बीजेपी के भी दलित नेताओं ने इस मामले को लेकर सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत को पत्र लिखा है और उनसे यह मांग की है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करे.
फैसले का अध्ययन
वहीं कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अभी सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का गहराई से अध्ययन कर रही है और उसके बाद अपने अगले कदम पर विचार करेगी.