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कर्नाटक चुनाव से सबक लेकर कांग्रेस, सपा, बसपा समेत सभी विपक्षी पार्टियां अलर्ट

कर्नाटक चुनाव नतीजों से सबक लेते हुए अब विपक्षी पार्टियां साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ पड़ने वाले वोटों को विभाजित होने से रोकने की नई रणनीति तैयार करने में जुट गई हैं.

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फाइल फोटो
फाइल फोटो

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कर्नाटक विधानसभा चुनाव से सबक लेकर विपक्षी पार्टियां आगामी विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनाव में बीजेपी के विजय रथ को रोकने को लेकर अलर्ट हो गई हैं. कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस और जेडीएस के अलग-अलग चुनाव लड़ने की वजह से बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. हालांकि बहुमत से आठ सीटें दूर रह गई, जिसके चलते कर्नाटक की येदियुरप्पा सरकार गिर गई और दक्षिण में बीजेपी का द्वार एक बार फिर से बंद हो गया.

अब कर्नाटक में जेडीएस के कुमारस्वामी कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने जा रहे हैं. बुधवार को वो मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. कर्नाटक में जेडीएस और कांग्रेस ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था, लेकिन चुनाव के बाद बीजेपी को सरकार बनाने से रोकने के लिए कांग्रेस ने जेडीएस को समर्थन देने का ऐलान कर दिया. माना जा रहा है कि अगर कांग्रेस और जेडीएस मिलकर चुनाव लड़ते, तो इनके खाते में ज्यादा सीटें आ सकती थीं.

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इतना ही नहीं, अगर दोनों दल मिलकर साल 2019 के लोकसभा चुनाव में उतरते हैं, तो फिर कर्नाटक में बीजेपी के लिए साल 2014 के चुनावी नतीजे को दोहराना मुश्किल हो सकता है. विधानसभा चुनाव के नतीजों से तुलना करें, तो लोकसभा चुनाव में फिर राज्य की 28 लोकसभा सीटों में से 22 सीटों पर कांग्रेस-जेडीएस का कब्जा होगा.

बीजेपी के खिलाफ पड़ने वाले वोटों को बंटने से रोकने को रणनीति

वहीं, कर्नाटक चुनाव नतीजों से सबक लेते हुए अब विपक्षी पार्टियां साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ पड़ने वाले वोटों को विभाजित होने से रोकने की नई रणनीति तैयार करने में जुट गई हैं. समाजवादी पार्टी (SP), बहुजन समाज पार्टी (BSP) और कांग्रेस जैसी विपक्षी पार्टियों का तर्क है कि यह बीजेपी विरोधी वोटों का बंटवारा ही था, जिसके चलते कर्नाटक में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई.

बीजेपी के खिलाफ एकजुटता से बनेगी बात

सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी का कहना है कि आगामी चुनावों में एक ऐसी रणनीति तैयार करने की जरूरत है, जो यह सुनिश्चित करे कि बीजेपी विरोधी वोट बंटे नहीं. इससे बीजेपी को किसी तरह का फायदा नहीं मिलेगा. अब चुनावों को रणनीतिक तरीके से लड़ने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि यह सफलता एकजुटता से हासिल की जा सकती है, जिसका उदाहरण फूलपुर और गोरखपुर में बखूबी देखने को मिला.

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इन दोनों जगहों पर सपा ने बसपा की मदद से बीजेपी को शिकस्त दी.

इस मामले में राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के प्रवक्ता अनिल दूबे ने कहा कि समान विचारों वाली सभी पार्टियों को बीजेपी को रोकने के लिए एक मंच पर आना चाहिए. लखनऊ यूनिवर्सिटी के राजनीति विज्ञान विभाग के पूर्व प्रमुख और राजनीतिक विश्लेषक रमेश दीक्षित का कहना है कि कर्नाटक चुनाव से यह सबक सीखना होगा कि सिर्फ एक एकजुट विपक्ष ही बीजेपी को रोक सकता है और पिछले आंकड़े इस बात को साबित करते हैं.

कांग्रेस न दोहराए कर्नाटक जैसी गलती

बीजेपी को आगामी लोकसभा चुनाव में रोकने के लिए कांग्रेस को कर्नाटक चुनाव के दौरान की गई गलतियों को दोहराने से बचना होगा, ताकि विपक्षी एकता में किसी तरह की दरार न आए. अगर कांग्रेस ने गलती दोहराई, तो इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिलेगा. बसपा सुप्रीमो मायावती का भी कहना है कि कांग्रेस को वो गलती दोबारा नहीं करनी चाहिए, जो उसने मुस्लिम बहुल इलाकों में प्रचार के दौरान की थी, जहां उसने जनता दल (सेक्युलर) को बीजेपी  की ‘बी-टीम’ बताया था. उन्होंने कहा, ''मेरा कांग्रेस को सुझाव है कि वो इस तरह की भाषा का इस्तेमाल भविष्य में न करे, जो आगामी चुनावों में बीजेपी और आरएसएस की मदद कर सकते हैं.''

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विपक्षी पार्टियों में पीएम पद को लेकर पेंच

आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए एकजुट होती जा रहीं विपक्षी पार्टियों के बीच पीएम पद को लेकर पेंच फंस सकता है. सभी दल अभी तक राहुल गांधी को पीएम पद के लिए दावेदार नहीं मान रहे हैं. इस मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष का प्रधानमंत्री बनना, ये समय तय करेगा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के साथ समाजवादी पार्टी की दोस्ती 2019 के लोकसभा चुनाव तक जारी रहेगी. कर्नाटक के घटनाक्रम पर अखिलेश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की वजह से देश में लोकतंत्र में बचा है.

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