कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को संसद में रोजगार के मुद्दे को लेकर सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी पर जमकर प्रहार किए. राहुल ने कहा कि एनडीए ने 2014 लोकसभा चुनाव से पहले रोजगार उपलब्ध कराने को लेकर जो वादा किया था वो खाली जुमला ही साबित हुआ.
राहुल गांधी ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान देश में रोजगार अवसरों को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ आक्रामक तेवर दिखाए. राहुल ने कहा, “दो करोड़ युवाओं को जो रोजगार देने का वादा किया था, वो रोजगार कहां हैं? बीते एक साल में सिर्फ चार लाख रोजगार दिए गए. चीन हर 24 घंटे में 50,000 युवाओं को रोजगार देता है. आप 24 घंटे में सिर्फ 400 को रोजगार देते हो.’’
इंडिया टुडे की फैक्ट चैक टीम ने संसद में कांग्रेस अध्यक्ष के लगाए आरोपों की पड़ताल की. चीन सरकार की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक चीन में 2016 के मुकाबले 2017 में रोजगार सृजन की स्थिति बेहतर हुई. चीन की बेरोजगारी दर 3.9% है जबकि भारत में बेरोजगारी दर 7.1% है.
चीन के मानव संसाधन और सामाजिक सुरक्षा (MHRS) मंत्रालय ने इस साल के शुरू में एलान किया था कि 2017 में वहां 1 करोड़ 35 लाख रोजगार पैदा किए गए जो 2016 की तुलना में 3,70,000 ज्यादा है.
बीते साल चीन में कुल रोजगार सृजन का हर दिन के हिसाब से आंकड़ा निकाला जाए तो ये 37,013 बैठता है. जबकि राहुल ने संसद में कहा कि चीन में हर घंटे 50,000 रोजगार का सृजन होता है. जाहिर है कि राहुल ने चीन के आंकड़े को संसद में थोड़ा बढ़ा कर दिखाया.
अब आते हैं इस बात पर कि क्या मोदी ने 2014 लोकसभा चुनाव से पहले वादा किया था कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आई तो हर साल दो करोड़ रोजगार पैदा किए जाएंगे? राहुल ने ऐसे ही वादे का हवाला देते हुए शुक्रवार को लोकसभा में दावा किया.
21 नवंबर 2013 को आगरा में एक चुनावी रैली में मोदी ने एनडीए के प्रधानमंत्री चेहरे के तौर पर एक करोड़ रोजगार देने का वादा किया था. मोदी ने कहा था, “अगर बीजेपी सत्ता में आई तो ये एक करोड़ जॉब मुहैया कराएगी जो कि यूपीए सरकार पिछले लोकसभा चुनाव में वादा करने के बावजूद उपलब्ध नहीं करा पाई.”
कांग्रेस काफी समय से दो करोड़ जॉब देने का मोदी का वादा पूरा ना होने का जिक्र करती आ रही है. इंडिया टुडे फैक्ट चैक टीम को मोदी के ऐसे किसी भाषण का पता नहीं लगा जिसमें उन्होंने दो करोड़ रोजगार सृजन का वादा किया हो. ना ही ऐसा वादा 2014 लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी के घोषणापत्र में शामिल था.
अगर वादे के मुताबिक एक करोड़ जॉब पांच साल में सृजित किए जाने थे तो हर दिन के हिसाब से ये आंकड़ा 5479 जॉब का बैठता है. क्या मोदी सरकार इस लक्ष्य को पूरा कर पाई. तो इसका सीधा जवाब नहीं है. चार साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद मोदी सरकार इस आंकड़े से बहुत बड़े अंतर से पीछे चल रही है.
श्रम और रोजगार मंत्रालय की 2016-17 की रिपोर्ट के मुताबिक आठ संगठित सेक्टरों में, जो कि देश के कुल जॉब्स में 81 फीसदी की नुमाइंदगी करते हैं, पिछले साल सिर्फ 4.16 लाख जॉब जोड़े गए. ये हर दिन के हिसाब से सिर्फ 1139 जॉब ही बैठता है. जाहिर है सरकार रोजगार सृजन के लक्ष्य के आधे के भी कहीं करीब नहीं है.
फैक्ट चैक टीम की पड़ताल से सामने आया कि राहुल ने चीन में रोजगार सृजन को लेकर वास्तविकता से कुछ बढ़ा चढ़ा कर कहा. साथ ही रोजगार सृजन पर उनके वादे को लेकर प्रधानमंत्री को गलत उद्धृत किया. हालांकि राहुल ने ये सही इंगित किया कि मोदी सरकार ने रोजगार सृजन के लिए अपनी ओर से जो लक्ष्य रखा था, उससे कहीं पीछे है.