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मोदी सरकार 2.0 में कौन बनेगा लोकसभा स्पीकर, ये 5 दिग्गज रेस में

संसद का सत्र सोमवार को शुरू हो रहा है ऐसे में लोकसभा स्पीकर के पद के लिए कई नाम है. इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी, राधामोहन सिंह, रमापति राम त्रिपाठी, एसएस अहलुवालिया और डॉ. वीरेंद्र कुमार के नाम शामिल हैं.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी कैबिनेट में शामिल सदस्य (फोटो-फाइल)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी कैबिनेट में शामिल सदस्य (फोटो-फाइल)

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बनी केंद्र सरकार की संसदीय परीक्षा आज से शुरू हो रही है.  सरकार के दूसरे कार्यकाल का संसद सत्र सोमवार यानी 17 जून से शुरू होकर 26 जुलाई तक चलेगा. 40 दिनों तक चलने वाले संसद के सत्र में तीन तलाक, केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान और नागरिकता संशोधन जैसे कई अहम बिल को पेश करेगी, लेकिन इससे पहले बुधवार यानी 19 जून को लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होना है. ऐसे में लोकसभा स्पीकर के पद के लिए बीजेपी से जीतकर आए वरिष्ठ नेताओं के नाम पर मंथन चल रहा है.

लोकसभा अध्यक्ष बनने की रेस में पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी, राधामोहन सिंह, रमापति राम त्रिपाठी, एसएस अहलुवालिया और डॉ. वीरेंद्र कुमार जैसे कई दिग्गज नेताओं के नाम शामिल हैं. ऐसे में देखना होगा कि मोदी सरकार के 2.0 में लोकसभा अध्यक्ष के पद पर कौन विराजमान होगा?

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मेनका गांधी सबसे अनुभवी

पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी आठवीं बार लोकसभा सदस्य चुनी गई हैं. ऐसे में वह बीजेपी की सबसे अनुभवी लोकसभा सदस्य हैं और अध्यक्ष पद के लिए एक स्वाभाविक विकल्प मानी जा रही हैं. मोदी सरकार की कैबिनेट में उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया है, जिसके चलते यह माना जा रहा है कि मेनका गांधी के नाम पर मुहर लग सकती है.

राधामोहन सिंह

लोकसभा अध्यक्ष पद की रेस में दूसरा नाम पूर्व केंद्रीय मंत्री राधामोहन सिंह का है. वह छह बार सांसद का चुनाव जीत चुके हैं और उन्हें भी अध्यक्ष पद के लिए एक मजबूत दावेदार माना जा रहा है. राधामोहन सिंह की संगठन पर गहरी पकड़ है और उनकी छवि विनम्र एवं सबको साथ लेकर चलने वाले नेता की है. लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए बीजेपी राधामोहन सिंह के नाम को आगे बढ़ाती है तो माना जा रहा है कि विपक्ष का भी साथ मिल सकता है. सिंह कह चुके हैं कि यह लोकसभा चुनाव आखिरी है, ऐसे में पार्टी उनके नाम पर मुहर लगा सकती है.

एसएस अहलूवालिया

लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए एसएस अहलूवालिया का नाम भी शामिल है. वह दूसरी बार लोकसभा सदस्य चुने गए हैं, लेकिन इससे पहले चार बार राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं. राज्यसभा में उप नेता पद पर भी काम कर चुके हैं, जिसके चलते वह संसदीय नियम कायदे से अच्छी तरह वाकिफ हैं.

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अहलूवालिया का एक सांसद के तौर पर अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए बीजेपी उनके नाम पर मुहर लगा सकती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर ऐसे फैसले लेते हैं, जिससे लोग चौंक जाते हैं. ऐसे में लोकसभा अध्यक्ष के लिए अल्पसंख्यक चेहरे के तौर पर एसएस अहलूवालिया के नाम को आगे कर सकते हैं.

डॉ. वीरेंद्र कुमार

लोकसभा अध्यक्ष पद की रेस में प्रोटेम स्पीकर बने डॉ. वीरेंद्र सिंह का नाम भी शामिल है. वीरेंद्र सिंह सातवीं बार लोकसभा सदस्य चुने गए हैं. वह मध्य प्रदेश के सागर सीट से चार बार और तीन बार टीकमगढ़ से चुने गए हैं. वह 1996 से लगातार सांसद हैं. पिछली बार मोदी सरकार में उन्हें महिला एवं बाल विकास तथा अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय में राज्य मंत्री का पद मिला था. वीरेंद्र कुमार दलित समुदाय से आते हैं. ऐसे में पीएम इस पद दलित चेहरे के चेहरे के तौर पर वीरेंद्र सिंह के नाम की मुहर लगा सकती है. बता दें कि 2004 में यूपीए सरकार बनी थी तो प्रोटेम स्पीकर सोमनाथ चटर्जी बने थे और बाद में उन्हें लोकसभा अध्यक्ष चुना गया था. इसी तरह बीजेपी भी वीरेंद्र सिंह को चुन सकती है.

रमापति राम त्रिपाठी

लोकसभा अध्यक्ष पद के दौड़ में रमापति राम त्रिपाठी का भी चल रहा है. वह पहली बार लोकसभा सदस्य चुने गए हैं, लेकिन संगठन में काम करने का अच्छा खासा अनुभव है. 69 साल के त्रिपाठी संघ के प्रचारक के रूप में राजनीतिक सफर शुरू किया और बाद में बीजेपी में सक्रिय हो गए. 2000-12 तक विधान परिषद के सदस्य रहे. 2007 में बीजेपी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष बने और 2010 तक रहे. बीजेपी ने उन्हें दो बार विधानसभा का टिकट दिया और दोनों बार हार गए. हालांकि संगठन के तौर पर उन्होंने महाराष्ट्र के सहप्रभारी, झारखंड के प्रभारी के रूप में भी कार्य किया. राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य के साथ 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए प्रदेश में बनी चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक रहे.

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