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लोकसभा में GST बिल दो-तिहाई बहुमत से पारित

पूरे देश में वस्तु व सेवा कर (GST) व्यवस्था लागू करने के प्रावधान वाला संविधान (122वां संशोधन) विधेयक-2014 बुधवार को लोकसभा में पारित हो गया. विधेयक के पक्ष में 354 और विपक्ष में 5 मत पड़े.

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भारत की संसद
भारत की संसद

पूरे देश में वस्तु व सेवा कर (GST) व्यवस्था लागू करने के प्रावधान वाला संविधान (122वां संशोधन) विधेयक-2014 बुधवार को लोकसभा में पारित हो गया. विधेयक के पक्ष में 336 और विपक्ष में 11 मत पड़े. 

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GST बिल पर वोटिंग के दौरान 10 सदस्य अनुपस्थित रहे. लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि विधेयक जरूरत के मुताबिक दो-तिहाई बहुमत से पारित हुआ है.

इससे पहले विधेयक पर हो रही चर्चा के जवाब में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विपक्ष के इस आरोप को गलत बताया कि सरकार सदन को विश्वास में लिए बिना विधेयक में कुछ प्रावधानों पर संशोधन कर रही है. उन्होंने इसे संसदीय समिति के हवाले किए जाने से भी इनकार किया.

उन्होंने कहा कि विधेयक में जिन संशोधनों को शामिल किया गया है, उन संशोधनों की सिफारिश मूल विधेयक पर समिति ने पहले ही की है, इसलिए इस मुद्दे पर सरकार को विपक्ष गलत नहीं ठहरा सकता.

अरुण जेटली ने उदाहरण देते हुए कहा कि ऐसा ही एक संशोधन है GST परिषद की स्थापना, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों के प्रतिनिधि होंगे और जो विवादों का निपटारा करेगी, न कि उसे सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की समिति के पास भेजा जाएगा.

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जेटली ने कहा कि व्यापक विचार-विमर्श की प्रक्रिया से विधेयक पर व्यापक सहमति कायम हो चुकी है और इसे समिति के हवाले किए जाने से एक अप्रैल, 2016 से इसे लागू करने का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाएगा.

संविधान संशोधन विधेयक को प्रभावी होने के लिए संसद के दोनों सदनों से दो-तिहाई बहुमत से पारित होना है और देश के कुल राज्यों के आधे की विधानसभाओं द्वारा भी इसे पारित होना है.

इस विधेयक के लागू होने से केंद्र और राज्यों के अधिकतर अप्रत्यक्ष करों का अलग अस्तित्व समाप्त हो जाएगा, जिसमें उत्पाद शुल्क, सेवा कर, मूल्य वर्धित कर, बिक्री कर, ऑक्ट्रॉय शामिल हैं. इसके लागू होने से कारोबारी देश में कहीं भी अपनी कारोबारी गतिविधियों का विस्तार कर सकेंगे.

जेटली ने कहा, 'विधेयक के प्रभावी होने के बाद आगे एक कर के ऊपर दूसरा कर लगाने की परंपरा समाप्त हो जाएगी.' उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में केंद्रीय बिक्री कर को चार फीसदी से घटाकर दो फीसदी किए जाने से राज्यों को हुए नुकसान की भरपाई करने की अनुमति दे दी है. राज्यों को यह भुगतान पांच साल तक किया जाएगा.

वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि इस पूरी अवधि में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 33 हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया जाएगा.

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लोकसभा ने राज्यों के बीच व्यापार पर एक फीसदी अतिरिक्त कर लगाए जाने से संबंधित संशोधन को भी मंजूरी दे दी, जिससे राज्यों को कर व्यवस्था के परिवर्तन काल में और मदद की जा सकेगी. मूल विधेयक की भांति पेट्रोलियम उत्पाद, शराब और तंबाकू को फिलहाल इस विधेयक के प्रभाव क्षेत्र से बाहर रखा गया है.

इनपुट: IANS

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