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फूड सिक्योरिटी बिल के बाद भूमि अधिग्रहण बिल लोकसभा में पास, राहुल गांधी खुश

लोकसभा ने गुरुवार को बहु प्रतीक्षित भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्वास विधेयक पर अपनी मुहर लगा दी. इस बिल के पास होने के बाद कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी ने खुशी जाहिर की है. वहीं केंद्रीय मं‍त्री कपिल सिब्‍बल ने बिल को ऐतिहासिक करार देते हुए कहा कि इससे किसानों को फायदा होगा.

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लोकसभा में भूमि अधिग्रहण बिल पास
लोकसभा में भूमि अधिग्रहण बिल पास

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लोकसभा ने गुरुवार को बहु प्रतीक्षित भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्वास विधेयक पर अपनी मुहर लगा दी. इस बिल के पास होने के बाद कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी ने खुशी जाहिर की है. वहीं केंद्रीय मं‍त्री कपिल सिब्‍बल ने बिल को ऐतिहासिक करार देते हुए कहा कि इससे किसानों को फायदा होगा.

इस विधेयक के जरिए फैक्ट्रियों या भवन निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण से प्रभावित होने वाले लोगों को उचित मुआवजा मुहैया कराने, भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने और विस्थापित होने वालों को पुनर्वास का आश्वासन दिया गया है.

राज्य सभा से भी मुहर लगने के बाद कानून का रूप लेने वाला पुनरुद्धार एवं पुनर्वास विधेयक 2012 अब भूमि अधिग्रहण में स्वच्छ मुआवजा एवं पारदर्शिता का अधिकार के नाम से जाना जाएगा और यह ब्रिटिश कालीन 1894 के करीब 120 वर्ष पुराने कानून की जगह लेगा.

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लोकसभा में विधेयक पर हुए मतदान के दौरान उपस्थित 235 सदस्यों में से 216 सदस्यों ने पक्ष में और 19 ने इसके विरोध में मतदान किया.

जहां कांग्रेस ने इसे ऐतिहासिक कदम करार दिया वहीं अधिकांश दलों ने इसका समर्थन तो किया, लेकिन उर्वर भूमि का औद्योगिक विकास के लिए अधिग्रहण नहीं करने का तर्क रखा. पार्टियों ने इसकी जगह बेकार या बंजर जमीन का इस्तेमाल करने की सलाह दी.

बहस में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस की सदस्य मीनाक्षी नटराजन ने कहा, 'यह ऐतिहासिक कदम है. भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में यह पादर्शिता लाएगा और मुआवजा एवं पुनर्वास अधिकार बन जाएगा.'

ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने कहा, 'इस विधेयक को हमने मध्यम मार्ग के रूप में पाया है. समूह अलग-अलग चीजों की मांग कर रहे हैं. यह कहना गलत है कि मैंने उनसे विमर्श नहीं किया.' रमेश ने कहा कि औद्योगिक घरानों, राजनीतिक दलों और नागरिक संगठनों से भी विमर्श किया गया.

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा, 'हम महसूस करते हैं कि यदि किसान कृषि भूमि का अधिग्रहण करने के लिए तैयार नहीं हों तो यह किसी भी सूरत में नहीं किया जाए. सिंचित और उर्वर भूमि का अधिग्रहण किसी भी परिस्थिति में नहीं किया जाए. इसकी जगह बेकार या ऊसर जमीन को इस्तेमाल में लाया जाए.'

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प्राय: सभी दलों के सदस्यों ने कहा कि किसी भी भूमि अधिग्रहण में किसान की सहमति महत्वपूर्ण होती है.' सदस्यों ने सुझाव दिया कि किसानों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाना चाहिए. सदस्यों ने विशेष आर्थिक जोन को भी इस कानून में शामिल करने की मांग की.

समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने कहा, 'उर्वर भूमि का अधिग्रहण नहीं कीजिए. इसकी जगह उद्योग लगाने के लिए बेकार जमीन का इस्तेमाल कीजिए.'

विधेयक को किसान विरोधी करार देते हुए बहुजन समाज पार्टी के सदस्य एस. एस. नागर ने कहा, 'भूमि के उपयोग में बदलाव एक विवादित बिंदु है.'

तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि पहले नंदीग्राम और सिंगुर के किसानों पर 'क्रूर' कानून का प्रयोग किया गया और 'ममता बनर्जी के नेतृत्व में किस तरह उन्होंने लड़ाई लड़ी यह इतिहास है.' इस दलील का वामपंथी पार्टियों के सदस्यों ने विरोध किया.

बंदोपाध्याय ने ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश को स्वीकार्य विधेयक तैयार करने के लिए धन्यवाद दिया. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी किसानों से जबरिया भूमि लेने के बिल्‍कुल खिलाफ है.

उन्होंने कहा, 'हमारा मानना है कि 100 प्रतिशत भूमि निजी समूह द्वारा खरीदी जानी चाहिए. उद्योग एक फसली या बंजर भूमि पर स्थापित की जानी चाहिए.'

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तृणमूल कांग्रेस के नेता ने कहा कि नया विधेयक आज की जरूरत है. डीएमके के सदस्य टी. के. एस. इलानगोवन ने भी विधेयक का समर्थन किया. माकपा नेता बासुदेव आचार्य ने कहा कि जब विधेयक लागू होगा तब यह क्रूर कानून हो जाएगा.

तृणमूल के आरोपों का खंडन करते हुए उन्होंने कहा, 'सिंगुर और नंदीग्राम में बलपूर्वक अधिग्रहण नहीं किया गया था. नंदीग्राम में एक इंच धरती अधिगृहीत नहीं की गई.'

राहुल गांधी के अलावा बीमारी के बाद सोनिया गांधी भी इस बिल पर बहस के दौरान संसद में मौजूद थी.

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