जैसे-जैसे संसद में FDI पर होने वाली चर्चा का लम्हा करीब आ रहा है सरकार की मुश्किल बढ़ती नजर आ रही हैं. यूपीए को बाहर से समर्थन देने वाली पार्टियों में सपा और बसपा ने अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं.
वहीं तेलंगाना के कांग्रेस सांसद भी सरकार के लिए खतरा बनकर उभरे हैं. संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ से मंगलवार सुबह तेलंगाना के 6 कांग्रेस सांसदों से मुलाकात की. हालांकि 9 सांसद कमलनाथ से नहीं मिले. वहीं टीएमसी ने भी साफ कर दिया है कि वो सरकार के खिलाफ वोट करेगी.
लोकसभा में एफडीआई मुद्दे पर चर्चा 2 बजे से शुरू होने की उम्मीद है. इस चर्चा की शुरुआत नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज कर सकती हैं. चर्चा का समापन होने के बाद एफडीआई मुद्दे पर मत विभाजन बुधवार को होगा.
संसद में चर्चा और मत विभाजन से पहले यूपीए को बाहर से समर्थन दे रही बसपा भी खुदरा एफडीआई मुद्दे पर समर्थन देने को लेकर सरकार को भ्रम की स्थिति में रखा है.
बसपा सुप्रीमो मायावती ने अब तक साफ संकेत नहीं दिये हैं लेकिन सरकार को यकीन है कि उसके पास बहुमत है और वह सदन पटल पर जीतने में कामयाब होगी.
मायावती ने संकेत दिया कि वह एफडीआई नीति का समर्थन कर सकती हैं क्योंकि इसमें कुछ सकारात्मक बातें भी हैं लेकिन उन्होंने अपनी रणनीति का खुलासा करने से इनकार कर दिया.
उन्होंने कहा कि मत विभाजन के मुद्दे पर बसपा का फैसला सदन पटल पर ही जानने को मिलेगा, जब इस मुद्दे पर मत विभाजन होगा . एफडीआई नीति की एक ही सकारात्मक बात है कि यदि कोई राज्य इसे लागू नहीं करना चाहता तो इसे जबरन किसी राज्य पर नहीं थोपा जाएगा.
मायावती ने कहा कि हमारी पार्टी ने इस बात को गंभीरता से लिया है. हमारी पार्टी यह भी गंभीरता से विचार कर रही है कि उन दलों के साथ खड़ा हुआ जाए या नहीं, जो सांप्रदायिक शक्तियों को प्रोत्साहित करते हैं.
बसपा के लोकसभा में 21 और राज्यसभा में 15 सदस्य हैं. उधर सपा के लोकसभा में 22 और राज्यसभा में नौ सदस्य हैं.
मायावती की टिप्पणी को सरकार पर यह दबाव डालने की कड़ी के रूप में देखा जा रहा है कि वह अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों को सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण देने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक को जल्द पारित कराने का आश्वासन दे. सपा हालांकि इसका कड़ा विरोध कर रही है.
संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने हालांकि बसपा को लुभाने की कोशिश में ऐलान किया है कि सरकार संविधान संशोधन विधेयक पारित कराने के लिए प्रतिबद्ध है.
उधर मुलायम ने भी अपने पत्ते खोलने से इंकार कर दिया. मुलायम सिंह ने कहा, ‘हम एफडीआई का विरोध करेंगे, जो सबको पता है. आप क्यों चाहते हो कि मैं बोलूं. मुझे जो कहना है लोकसभा में कहूंगा.’ राज्यसभा में इस मुद्दे पर छह और सात दिसंबर को चर्चा होनी है.
लोकसभा में वोट का खेल
लोकसभा में सरकार के पास 265 सदस्यों का समर्थन है, जिनमें 18 सदस्य द्रमुक के हैं. लोकसभा में कुल सदस्य संख्या 545 है. ऐसे में यदि सभी सदस्य मौजूद रहे तो सरकार को आधा आंकड़ा पार करने के लिए 273 मत चाहिए. यदि सपा और बसपा सरकार का समर्थन करते हैं तो सरकार 300 का आंकड़ा पार कर जाएगी.
राज्यसभा में वोट का खेल
राज्यसभा में संप्रग के पास बहुमत नहीं है. उच्च सदन में सदस्य संख्या 244 है. संप्रग और उसके सहयोगियों की संख्या 94 है. दस सदस्य मनोनीत हैं और वे सरकार के पक्ष में मतदान कर सकते हैं.
सात निर्दलीय सदस्यों में से तीन या चार सरकार का समर्थन कर सकते हैं. सत्ताधारी गठबंधन को बाहर से समर्थन दे रहे बसपा और सपा को मनाना पड़ सकता है, जिनके सदस्यों की संख्या क्रमश: 15 और नौ है. यदि दोनों दल मान गये तो सरकार की मुश्किलें कम हो सकती हैं.
वाम दलों ने हालांकि सपा और बसपा की आलोचना करते हुए दावा किया है कि ऐसा लगता है कि सरकार ने थोक कारोबार के जरिए मतों का इंतजाम कर लिया है.