संसद में आम तौर पर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच सहमति मुश्किल से बनती है लेकिन जब मामलों छुट्टी से जुड़ा हो तो पूरा सदन एकमत नजर आता है. लोकसभा में गुरुवार को ऐसा ही नजारा देखने को मिला जब स्पीकर ओम बिड़ला के प्रस्ताव को सदन ने एक सुर में खारिज कर दिया. इसके बाद सभापति को अपना प्रस्ताव वापस लेना पड़ा.
दरअसल, स्पीकर ने सांसदों से अपील करते हुए कहा कि सदन की कार्यवाही पिछले दिनों बाधित रही है और ऐसे में शनिवार-रविवार को लंबित पड़ी छह अनुदान मांगों पर चर्चा कराई जाए. स्पीकर ने कहा कि अगर सदन की अनुमति हो तो रविवार और शनिवार के अवकाश को रद्द कर अनुदान मांगों पर चर्चा कराई जा सकती है. इतना कहते ही सभी सांसदों ने एक सुर में नो (नहीं) की आवाज बुलंद कर दी.
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इस पर स्पीकर ने संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का मत जानना चाहा, जिनपर सदन की कार्यवाही और सरकार का कामकाज चलाने का जिम्मा है. मेघवाल ने सांसदों की नो सुनने के बाद कहा कि सदस्यों ने अपना मत जाहिर कर दिया है और अब कुछ नहीं कहना. हालांकि स्पीकर ने सांसदों को हिदायत देते हुए कहा कि अब कोई लंच ब्रेक नहीं होगा, साथ ही गुरुवार और शुक्रवार को देर रात तक अनुदान मांगों पर चर्चा चलेगी.
स्पीकर के आदेश के बाद लोकसभा में रेलवे की अनुदान मांगों पर चर्चा शुरू भी हो गई है. इस बीच विपक्षी दलों की ओर से मांग की गई कि सत्र को बढ़ाया जाए, इस दलील पर स्पीकर ने कहा कि अनुदान मांगों पर बुलेटिन जारी होने से पहले चर्चा की जाती है.
इससे पहले लोकसभा में स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कोरोना वायरस पर बयान देते हुए कहा कि भारत कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए तैयार है. उन्होंने ईरान और इटली में भारतीय नागरिकों की स्थिति पर सदन को अवगत कराया. ईरान में स्थिति के संबंध में जयशंकर ने कहा कि दूतावास ने भारतीयों से संपर्क किया है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उनके पास पर्याप्त प्रावधानों का उपयोग हो.
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लोकसभा में कांग्रेस सांसद अधीर रंजन ने लोकसभा में येस बैंक का मामला उठाया. उन्होंने कहा कि लोगों को ठगा जा रहा है. येस बैंक पर सरकार ने क्या किया. सरकार की निगरानी में येस बैंक लूटा गया. अधीर रंजन के बयान के बाद सत्ता पक्ष के सांसदों ने हंगामा किया.