देश में 'बढ़ती असहिष्णुता' पर संसद में बहस जारी है. कांग्रेस की ओर से मुद्दा उठाए जाने पर संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि 'सरकार किसी भी मुद्दे पर बहस के लिए तैयार है. लेकिन लेखकों को भी दूसरों की भवनाओं का खयाल रखना चाहिए. किताबों और फिल्मों पर बैन के लिए पॉलिसी हो.' इस पर हंगामा होने लगा तो स्पीकर ने कहा कि कम से कम हम सदन में असहिष्णुता न दिखाएं. हंगामे के कारण लोकसभा को चार बार स्थगित करना पड़ा.
बहस आगे बढ़ी तो माकपा सांसद मोहम्मद सलीम ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह पर बेहद आपत्तिजनक बयान देने का आरोप लगाया. सलीम ने कथित तौर पर राजनाथ का यह बयान सदन में दोहराया. यह पीएम को हिंदू बताने को लेकर था. इसके बाद हंगामा बढ़ गया. राजनाथ ने सलीम से पूछा- 'मैंने कब और कहां ऐसा कहा?' इस पर सलीम ने 16 नवंबर 2014 की आउटलुक मैगजीन की कॉपी दिखाई, जिसमें यह बयान छपा था. इसके बाद इस बयान को संसदीय कार्यवाही के रिकॉर्ड से हटा दिया गया. इससे पहले हंगामा नहीं थमने पर सदन की कार्यवाही दोपहर 2.05 बजे तक स्थगित कर दी गई. राजनाथ ने सलीम से इस बयान के लिए माफी मांगने को भी कहा.
राजनाथ ने क्या कहा
राजनाथ ने कहा कि मोहम्मद सलीम के बयान से मैं बहुत अधिक आहत हुआ हूं. पूरे राजनीतिक करियर के दौरान मैं इतना अपसेट कभी नहीं हुआ. सलीम को अपना बयान वापस लेना चाहिए और इसके लिए माफी मांगनी चाहिए.
कांग्रेस ने मांग की है कि असहिष्णुता पर चर्चा के लिए कम से कम दो दिन रखे जाने चाहिए, ताकि हर किसी को बोलने का मौका मिल सके. प्रधानमंत्री को भी अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए. मुख्य विपक्षी पार्टी ने महंगाई पर कार्य स्थगन प्रस्ताव भी दिया. इससे पहले कांग्रेस ने कहा था कि जब तक इस मुद्दे पर चर्चा नहीं होती, किसी भी बिल पर बात नहीं होगी. स्पीकर ने मांग स्वीकार करते हुए इस मसले पर चर्चा के लिए दोपहर 12 बजे का समय दिया था. 12 बजे प्रश्नकाल खत्म हो गया.
राउत बोले- कांग्रेस के जमाने में भी थी असहिष्णुता
सदन में बहस शुरू होने से पहले शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि कांग्रेस के जमाने में राजनीतिक-सामाजिक स्तर पर जितनी असहिष्णुता हुई, उतनी विश्व में कभी नहीं हुई. कांग्रेस वो दिन भूल गई क्या? हालांकि राज्यसभा में अभी अंबेडकर पर चर्चा जारी है. दो दिन बाद ऊपरी सदन में असहिष्णुता पर चर्चा हो सकती है.
बीजेपी ने कहा- अपने दिन भूल गई कांग्रेस
संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने फिर अपनी पुरानी बात दोहराई. साथ ही लेखकों के पुरस्कार लौटाने पर भी सवाल उठाया. नायडू ने कहा कि कांग्रेस अपने दिन भूल गई क्या, जब आपातकाल के दौरान संवैधानिक और मूल अधिकार तक छीन लिए गए थे. लेखक तब तो मौन रहे और अब आक्रोश जाहिर कर रहे हैं. देश में पूरी सहिष्णुता है.
कांग्रेस का जवाब- हम सृजनात्मक विपक्ष
कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा कि 'हम सिर्फ वही कर रहे हैं जो एक सजृनात्मक विपक्ष को करना चाहिए. हमारा पहला दायित्व बढ़ती असहिष्णुता पर अपने विचार जाहिर करना है. लोकसभा में इस मसले पर चर्चा के लिए कांग्रेस की ओर से नोटिस वेणुगोपाल ने ही दिया है.