देश के कई राज्यों में बाढ़ और सूखे की गंभीर स्थिति पर लोकसभा में सोमवार को सांसदों विशेषकर विपक्षी सदस्यों ने गंभीर चिन्ता व्यक्त की.
सरकार ने हालांकि कहा कि इन आपदाओं से निपटने की क्षमता के लिहाज से पांच साल पहले जो हालात थे, इस समय उनसे कई गुना बेहतर स्थिति है. चिदंबरम ने नियम 193 के तहत देश में बाढ़ और सूखे की स्थिति को लेकर हुई चर्चा के जवाब में कहा कि कई राज्यों में बाढ़ के कारण व्यापक तबाही हुई है और बड़े पैमाने पर मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं और खेती बर्बाद हुई है. बड़ी संख्या में पशु बाढ़ के पानी में बह गये. उन्होंने कहा कि सूखे और बाढ़ का प्रबंधन केन्द्र और राज्यों की सम्मिलित जिम्मेदारी है.
केन्द्र अपनी ओर से सेना, वायुसेना, राष्ट्रीय आपदा राहत निधि, सीमा सडक संगठन, भारत तिब्बत सीमा पुलिस के जवानों को बाढ राहत कार्यों में लगाता है. स्वास्थ्य मंत्रालय डाक्टरों की टीम और दवाइयां मुहैया कराता है जबकि दूरसंचार मंत्रालय तेज गति से संचार संपर्क कायम करता है. चिदंबरम ने कहा कि सड़क परिवहन मंत्रालय सड़कों का निर्माण तेजी से करता है और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्रालय भोजन सामग्री की व्यवस्था करता है. उन्होंने कहा कि बाढ़ की स्थिति की निगरानी दैनिक आधार पर की जाती है.
{mospagebreak}कैबिनेट सचिव, गृह सचिव के अलावा संबद्ध मंत्रालयों के सचिव स्थिति की निगरानी करते हैं. चिदंबरम के जवाब से असंतुष्ट कई विपक्षी सदस्यों ने आरोप लगाया कि बाढ़ पीडितों को अपेक्षित मदद नहीं मिल रही है और कुछ राज्यों के साथ केन्द्र सरकार भेदभाव कर रही है. कुछ सदस्यों ने मुआवजे को लेकर भी केन्द्र से स्पष्टीकरण मांगा. गृह मंत्री ने कहा कि 2005-10 के दौरान बाढ़ राहत के रूप में 21,333 करोड़ रूपये केन्द्र सरकार ने राज्यों को दिये थे. 2010-15 के दौरान यह राशि बढाकर 33,580 करोड़ रूपये कर दी गयी है. विशेष दर्जा पाये राज्यों को मिलने वाली राहत राशि में केन्द्र सरकार की राशि अब 90 फीसदी होगी.
चिदंबरम ने कहा कि एक बात स्पष्ट होनी चाहिए कि केन्द्र सरकार की ओर से राहत राशि मुहैया करायी जाती है न कि मुआवजा. मुआवजा पृथक मुद्दा है. राहत कार्य प्रभावित लोगों को तुरंत मदद के इरादे से संचालित किये जाते हैं. उन्होंने कहा कि बाढ़ और सूखे की स्थिति में राहत कर्यों से जुडे नियमों की समीक्षा के लिए गठित विशेषज्ञ समूह ने सभी राज्यों और केन्द्र सरकार के संबद्ध मंत्रालयों से सलाह मशविरा कर राहत प्रदान करने के नियमों की समीक्षा की है, जिन्हें लागू किया जाएगा.{mospagebreak}चिदंबरम ने कहा कि बाढ़ और सूखे की स्थिति से निपटने के मामले में पांच साल जो पहले हालात थे, अब के हालात उससे कई गुना बेहतर हैं. लेकिन राहत कार्य जिला स्तर पर प्रभावशाली ढंग से हों, तो और बेहतर होगा. उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में बाढ़ या सूखे की स्थिति होती है, उनके हालात और राहत कायो’ को लेकर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाता है ताकि पीडितों को पर्याप्त राहत मुहैया करायी जा सके. चर्चा की शुरूआत करने वाले भाजपा के नवजोत सिंह सिद्धू ने आरोप लगाया कि बाढ़ और सूखा हर साल आता है लेकिन सरकार कोई एहतियाती उपाय नहीं कर रही है. वह पहले समस्या के आने का इंतजार करती है, फिर उसका समाधान करती है.