लोकसभा ने बुधवार को लोकपाल और लोकायुक्त संशोधन बिल 2016 बिना चर्चा के पास कर दिया. सरकार ने कहा कि इस बिल को तुरंत पास की जाने की आवश्यकता है क्योंकि हर पब्लिक सर्वेंट को अपनी वार्षिक संपत्तियों और देनदारियों की घोषणा करनी है और 31 जुलाई तक ये करना जरूरी है इसलिए इस बिल पास किए जाने की जरूरत है.
जब कार्मिक मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सदन को ये आश्वासन दिया कि सरकार भ्रष्टाचार को रोकने के उद्देश्य से यह बिल ला रही है तो सदन में कांग्रेस सहित वामपंथी पार्टियों और तृणमूल कांग्रेस ने कहां कि बिना चर्चा के बिल पास किए जाने से कहीं यह संदेश ना चला जाए कि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने पर सदन गंभीर नहीं है.
विपक्षी पार्टियों ने उठाए ये सवाल
विपक्षी पार्टियों ने सरकार के इस बिल को पेश करने के तरीके पर भी सवाल उठाया और कहा कि बिजनेस ऑफ लिस्ट में यह बिल लिस्टेड नहीं था. बिना जानकारी के
सरकार जल्दबाजी में इस बिल को ला रही है, जो बहुत अहम बिल है. मगर मंत्री की तरफ से जब सदन को आश्वासन दिया गया कि सरकार भ्रष्टाचार को रोकने के
लिए कटिबद्ध है और उस पर लगाम लगाने के उद्देश्य से ही इस बिल को पास करवाना चाहती है क्योंकि समय कम है और इसे तुरंत पास करवाए जाने की आवश्यकता है
इसलिए वह यह संशोधित बिल लेकर सदन में आई है.
ध्वनि मत से पास हुआ बिल
इसके बाद ध्वनि मत से इस बिल को पास कर दिया गया. शून्य काल के तुरंत बाद कार्मिक मंत्री ने बिल पेश किया और कहा कि विधायक को बेहतर बनाने के लिए
अनुच्छेद 44 में तत्काल संशोधन की जरूरत है.
गुरुवार को राज्यसभा में बिल पास कराने की कोशिश करेगी सरकार
इसके बाद यह बिल अब राज्यसभा मे जाएगा और वहां से पास होगा. सरकार की कोशिश यही है कि राज्यसभा में इस बिल को गुरुवार को ही पास करवा लें. इस बिल
के अनुसार एनजीओ ट्रस्ट चलाने वाले लोक सेवकों और कर्मचारियों की संपत्तियों की घोषणा करना अनिवार्य होगा.
विधायक अभी स्थाई समिति के पास है और अगले सेशन में इसकी सिफारिशें संसद में पेश की जानी है .