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लोकपाल नियुक्ति मामला: चयन पैनल में शामिल किए गए मुकुल रोहतगी

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 11 मई को हुई बैठक में ये फैसला लिया गया है. कोर्ट ने पूछा कि लोकपाल नियुक्त करने में अब कितना वक्त लगेगा?

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मुकुल रोहतगी
मुकुल रोहतगी

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लोकपाल की नियुक्ति के मामले में एक कदम और बढ़ाते हुए केंद्र सरकार ने पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी को नामचीन हस्ती के तौर पर चयन पैनल में शामिल किया है. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 11 मई को हुई बैठक में ये फैसला लिया गया है. कोर्ट ने पूछा कि लोकपाल नियुक्त करने में अब कितना वक्त लगेगा? इस पर वेणुगोपाल ने जवाब दिया कि इसमें अभी समय लगेगा. अब सुप्रीम कोर्ट दो जुलाई को मामले की सुनवाई करेगा.

लोकपाल की नियुक्ति के मामले में अप्रैल महीने में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हमें उम्मीद है कि सरकार जल्द ही लोकपाल की नियुक्ति करेगी. इसके बाद कोर्ट ने लोकपाल की नियुक्ति को लेकर तत्काल आदेश जारी करने से इंकार किया था. तब कोर्ट ने कहा था कि सरकार के इस आश्वासन के बाद फिलहाल कोई आदेश जारी नहीं किए जाएंगे.

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केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि नामचीन हस्ती की नियुक्ति के लिए प्रक्रिया जारी है. वहीं कॉमन कॉज की ओर से प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार जानबूझकर नियुक्ति को लटका रही है. आजतक से खास बातचीत में प्रशांत भूषण ने कहा चार साल में तो अब जाकर एमिनेंट जूरिस्ट की नियुक्ति की है. ये कमेटी अपना काम करेगी तो फिर सात सदस्यीय स्क्रीनिंग कमेटी बनानी होगी. उसे बनाने के लिए सात सदस्य तो ढूंढने होंगे जिसमें कम से कम सात साल का समय तो लगेगा ही.

एक याचिकाकर्ता ने तो यहां तक कहा कि सरकार ने एक कदम तो बढ़ाया लेकिन दिल्ली सरकार जिस लोकपाल और लोकायुक्त के नारे और वादे पर सत्ता में आई उसने चार साल में अब तक इस मुद्दे की चर्चा भी शुरू नहीं की है.

17 दिसंबर, 2013 को पारित हुआ था लोकपाल बिल

आपको बता दें कि लोकपाल बिल को 13 दिसंबर, 2013 को राज्यसभा में पेश किया गया था, जो 17 दिसंबर, 2013 को पारित हो गया था. इसके बाद 18 दिसंबर, 2013 को लोकसभा ने भी इस बिल को पास कर दिया था.

अन्ना के अगुआई में हुआ था आंदोलन

गौरतलब है कि समाजसेवी अन्ना हजारे की अगुआई में 2011 में दिल्ली के रामलीला मैदान में काफी बड़ा आंदोलन हुआ था. जिसके बाद लोकपाल बिल चर्चा में आया था. इसके बाद 27 अगस्त 2011 को भारतीय संसद में ‘Sense of the House’ से रेज्युलेशन पास किया गया था. इसमें केंद्र में लोकपाल और हर राज्यों में लोकायुक्त व सिटिजन चार्टर पर जल्द से जल्द कानून बनाने का निर्णय लिया गया था.

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