तमिलनाडु की सत्तारूढ़ अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्नाद्रमुक) ने सोमवार को लोकसभा के 39 निर्वाचन क्षेत्रों में से 10 पर चुनाव लड़ने वाले संभावित उम्मीदवारों का साक्षात्कार लिया. पार्टी ने एक बयान में कहा कि मुख्यमंत्री के.पलानीस्वामी व उप मुख्यमंत्री ओ. पनीरसेल्वम भी उम्मीदवारों का साक्षात्कार लेने वालों में शामिल हैं.
उम्मीदवारों ने सालेम, कल्लाकुरिची, नमक्कल, करुर, इरोड, तिरुप्पुर, नीलगिरी, कोयंबटूर, पोलाची व विल्लुपुरम से चुनाव लड़ने के लिए आवेदन किए हैं. अन्नाद्रमुक ने पीएमके को 7 लोकसभा सीट, भाजपा को 5, डीएमडीके 4 व पुथिया तमिझगम व पुथिया निधि काची को 1 सीट के साथ चुनावी गठबंधन किया है.
लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही जहां तमिलनाडु की 39 सीटों पर चुनाव प्रचार जोर पकड़ने जा रहा है, वहीं सियासी पार्टियों की 15 लोकसभा सीटों पर पैनी नजर है. इसकी वजह है इन लोकसभा क्षेत्रों के तहत आने वाली 18 सीटें, जहां लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा उपचुनाव कराए जाएंगे.
राज्य की सत्ता पर काबिज एआईएडीएमके सरकार का भविष्य भी इन्हीं 18 सीटों के नतीजों पर निर्भर करेगा. इसके साथ-साथ विपक्षी डीएमके के पास अपने प्रतिद्वंद्वी को मात देने का यह एक बेहतरीन मौका भी है. तीन लोकसभा सीटों- वेल्लूर, धर्मापुरी और थेनी पर सबसे ज्यादा लोगों की निगाह होगी क्योंकि इन सभी सीटों के तहत दो-दो विधानसभा सीटें आती हैं.
रविवार को चुनाव आयोग के चुनाव घोषणा के बाद सभी राजनीतिक दलों की कोशिश मिशन 2019 को जीतने के लिए होगी. बता दें, तमिलनाडु में बीजेपी-एआईएडीएमके-पीएमके गठबंधन में डीएमडीके पार्टी भी शामिल हो गई. डीएमडीके को चार लोकसभा सीटें दी गई हैं. तमिलनाडु में दूसरे चरण में 18 अप्रैल को 39 सीटों पर मतदान होंगे. इससे पहले तमिलनाडु के मंत्री और एआईएडीएमके के वरिष्ठ नेता केटी राजेंद्र बालाजी ने पीएम नरेंद्र मोदी को अपनी पार्टी के लिए पितातुल्य बताया था. बालाजी ने कहा कि मोदी हमारे डैडी हैं. हम उनके नेतृत्व को स्वीकार करते हैं.
गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने रविवार को लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है. लोकसभा चुनाव 7 चरणों में होंगे और नतीजे 23 मई को आएंगे. इस बार सभी बूथों पर वीवीपैट का इस्तेमाल किया जाएगा. इससे वोटरों को मतदान के बाद पर्ची मिलेगी जिससे उनको पता लगेगा कि उनको वोट सही प्रत्याशी को दिया गया है या नहीं. दूसरी ओर चुनाव आयोग ने इस बार सोशल मीडिया के जरिए होने वाले चुनाव प्रचार पर नजर रखने के लिए नियम बनाए हैं.
2014 में हुए लोकसभा चुनावों में डीएमके और कांग्रेस को तमिलनाडु में एक भी सीट नहीं मिली थी. लेकिन इस बार वह तकदीर बदलने की उम्मीद कर रहे हैं.