पंजाब यूनिवर्सिटी से जुड़े एक भू-वैज्ञानिक भी एक अनूठा दावा कर चर्चा में आ गए हैं. आशु खोसला नाम के इस जियोलॉजिस्ट ने का दावा है कि डायनासोर की खोज सबसे पहले भगवान ब्रह्मा ने की थी और उन्होंने वेदों में इसका उल्लेख भी किया है. आशु ने फगवाड़ा के लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में चल रहे 106वें साइंस कांग्रेस में अपना एक रिसर्च पेपर पेश किया है.
आशु खोसला ने चंडीगढ़ की पंजाब यूनिवर्सिटी में जियोलॉजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं. वह भारत में डायनासोर की उत्पत्ति और अस्तित्व पर पिछले 25 साल से भी ज्यादा समय से रिसर्च कर रहे हैं. उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस अखबार से कहा, 'भगवान ब्रह्मा इस ब्रह्मांड के सबसे महान वैज्ञानिक थे. वह डायनासोर के बारे में जानते थे और वेदों में इसका अच्छी तरह से उल्लेख भी किया है. ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे इस सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा न जानते हों, उन्हें डायनासोर के अस्तित्व के बारे में पूरी तरह से पता था और उन्होंने वेदों में इसका उल्लेख भी किया है. दुनिया में किसी से भी पहले भगवान ब्रह्मा ने डायनासोर के अस्तित्व की खोज की थी. डायनासोर के विकास के लिए भारत बहुत उपयुक्त जगह था. राजासोरस नाम के डायनासोर की उत्पत्ति भारत में ही हुई थी.'
अंशु खोसला ने दावा किया कि उन्होंने अपनी टीम के साथ गुजरात के खेड़ा जिले में 'भारतीय' डायनासोर के अवशेषों की खोज की थी और आधिकारिक रूप से उसको 'राजासोरस नर्मदा एनसिस' नाम भी दिया था.
उन्होंने दावा किया, 'अमेरिकी और ब्रिटिशर्स हमारे वेदों से डायनासोर का कॉन्सेप्ट लेकर चले गए और इसके बारे में उनको जानकारी हुई. डायनासोर की प्रजाति करीब 6.5 करोड़ साल पहले ही विलुप्त हो गई थी, लेकिन वेद लिखते समय भगवान ब्रह्मा को इसके बारे में पता चल गया क्योंकि आंखें बंद करने के बाद उन्हें अपनी अतुलनीय आध्यात्मिक ताकत से इसकी जानकारी हो गई होगी. दुनिया में शायद यह बात किसी को पचे नहीं, लेकिन यह सच है कि सभी चीजों, चाहे डायनासोर ही क्यों न हो, उनका उल्लेख वेदों में है. यही नहीं, डायनासोर शब्द की उत्पत्ति भी संस्कृत के 'डिनो' शब्द से हुआ जिसका मतलब भयानक होता है, यह बाद में डायन और सोर में बदल गया. सोर शब्द असुर से आया है.'