बीते साल भारतीयों को 13 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2013 में पिछले 10 सालों के मुकाबले सबसे ज्यादा चोरियां हुईं. वर्ष 2013 में करीब 13,219 करोड़ रूपये के कीमती सामान की चोरी हुई.
2013 में पुलिस द्वारा चोरी किए गए सामान की बरामदगी का प्रतिशत दर नीचे से दूसरे स्थान पर रहा. पूरे साल में पुलिस देश भर से चोरी का केवल 1,762 करोड़ रूपये का सामान बरामद कर पाई.
एक अधिकारी ने बताया, ' एक दशक में सामान की कीमत तेजी से बढ़ी है. चुराए गए सामान में बड़ा हिस्सा वाहनों का है. दिल्ली और कोलकाता में चुराए गए वाहनों की संख्या बराबर है वहीं चेन्नई और मुंबई में चुराए गए सामान में 30 फीसदी तो वाहन ही हैं. उन्होंने कहा कि एक दशक पहले वाहनों की कीमत आज की तुलना में अपेक्षाकृत बहुत कम थी. यही वजह है कि आज चुराए गए वाहनों की संख्या अधिक है.
पुलिस ने बताया कि चुराए गए सामान की सूची में नगद राशि, गहने और वाहन शीर्ष पर बरकरार हैं. साल 2012 में 21,07,194 लाख रूपये के सामान की चोरी हुई थी जबकि बरामदगी केवल 1,41,793 रूपये की थी.
आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2010 में बरामदगी दर 28.9 फीसदी थी जो दशक में सर्वाधिक थी. राज्यवार आंकड़ों को देखें तो चोरी के मामले में सर्वाधिक 4,315 करोड़ रूपये और 3,048 करोड़ रूपये के सामान की चोरी के साथ क्रमश: महाराष्ट्र और गोवा शीर्ष पर रहे.
आंकड़ों के मुताबिक, साल 2013 में बरामदगी के मामले में 73.6 फीसदी बरामदगी के साथ तमिलनाडु पहले स्थान पर रहा. 51.9 फीसदी बरामदगी के साथ सिक्किम दूसरे स्थान पर और 51.7 फीसदी बरामदगी के साथ आंध्रप्रदेश तीसरे स्थान पर रहा. इसके ठीक उलट गोवा में बीते बरस चुराए गए सामान की बरामदगी का प्रतिशत मात्र 0.1 रहा जबकि केरल में यह दर 2 और मणिपुर में 3.3 फीसदी रही.