WhatsApp, फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया ने जहां लोगों के बीच दूरियों को कम किया है, वहीं यह मुसीबत में मददगार भी साबित हो रहा है. इसकी मदद से मंगलवार को एक मासूम बच्ची को उसका पिता मिल गया. खोई हुई बेटी को पाकर पिता के चेहरे पर खुशियां लौट आईं.
मुंबई के कांदिवली इलाके में रहने वाले मोहम्मद महरूफ खान की दो साल की बच्ची सायबा 9 सितम्बर को दूसरी बच्ची के साथ घर के बाहर खेल रही थी. खेलते-खेलते बच्ची कब घर से काफी दूर रोड की तरफ निकल गई, यह न तो महरूफ को पता चला, न ही उसके परिवार के अन्य सदस्यों को. काफी समय बीत जाने के बाद जब बच्ची घर नहीं लौटी, तो महरूफ ने उसकी तलाश शुरू की. अपने अगल-बगल काफी खोजबीन करने के बाद भी जब सायबा नहीं मिली, तो महरूफ की चिंता और हताशा बढ़ने लगी.
इधर महरूफ बच्ची के खो जाने की रिपोर्ट पुलिस स्टेशन में दर्ज कराने की सोच रहे थे और दूसरी तरफ कांदिवली (वेस्ट) में गश्त के दौरान कांदिवली पुलिस के एपीआई अजय कुलकर्णी की नजर गांधी नगर की 90 फुट रोड के किनारे खड़ी करीब दो साल की बच्ची पर गई. वह बहुत रो रही थी. कम उम्र होने के कारण वह अपने बारे में कुछ बता भी नहीं बता पा रही थी. पुलिस ने लड़की के परिवार को ढूढने की काफी कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हो पाई.
इसके बाद कांदिवली पुलिस ने सोशल नेटवर्किंग साइट वाट्सऐप का सहारा लिया और लड़की की फोटो और उसके बारे में संक्षिप्त जानकारी वाट्सऐप ग्रुप (पुलिस मीडिया) में पोस्ट करके सदस्यों से उसे अधिक से अधिक सर्कुलेट करने की अपील की.
इस ग्रुप में कई पत्रकारों और पुलिसकर्मियों के होने के कारण देखते ही देखते लड़की की फोटो काफी लोगों तक पहुंच गई. किसी ने जब यह फोटो गांधी नगर की साफी गली के निवासी लड़की के पिता मो. मारूफ खान (37) को दिखाया, तो उसने फौरन बेटी को पहचान लिया और तुरंत पुलिस स्टेशन पहुचे. पिता को बच्ची ने तुरंत पहचान लिया.
वाट्सऐप पर ग्रुप बनाकर लोगों की सेवा की शुरुआत मुंबई पुलिस ने कुछ महीने पहले ही शुरू की थी. उसी का नतीजा रहा कि मात्र कुछ ही घंटों में एक पिता को उसकी बिछड़ी हुई बच्ची मिल गई.