प्याज की महिमा में जितना कुछ कहा जाए, वह कम ही है. अब दिल्ली सरकार ने 'प्याज गाथा' में एक 'चालीसा' और जोड़ दी है. दिल्ली के उपराज्यपाल ने कहा है कि प्याज का भाव चालीस रुपये के पार नहीं जाने दिया जाएगा. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि प्याज का भाव ऐसा हो कि न्यूनतम आमदनी वाला अंतिम आदमी भी इसे खरीद सके.
एलजी साहब यह भूल गए कि आखिर एक आम आदमी 40 रुपये प्रति किलो के भाव से प्याज किस तरह खरीद पाएगा.
दरअसल, भारत की राजनीति में 'प्याज पुराण' एक दशक से ज्यादा पुराना है. अब नई 'प्याज चालीसा' की चौपाइयां दिल्ली सरकार के दस्तावेजों में लिखी जा रही हैं. दिल्ली सरकार के वर्तमान मुखिया उपराज्यपाल नजीब जंग इसकी बुनियाद रख चुके हैं. नजीब जंग ने केंद्र सरकार को आश्वासन दिया है कि राजधानी में प्याज के भाव 40 रुपये प्रति किलो के पार नहीं जाने दिए जाएंगे.
नजीब जंग ने खाद्य आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान से कहा है दिल्ली सरकार प्याज के भाव पर नजर बनाए है. प्याज के भाव नियंत्रण में रखने के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं. किसी भी सूरत में प्याज के दाम अक्टूबर तक 40 रुपये प्रति किलो से पार नहीं होगा. इस बाबत अधिकारियों को भी निर्देश जारी कर दिए गए हैं.
सूरत साफ है. प्याज चमकेगा और सुर्ख होगा, जो अभी 25 के आंकड़े पर घूम रहा है. हाफ सेंचुरी से पार जा सकता है भाव, ये अंदेशा दिल्ली सरकार को भी है. इसीलिए मान लिया गया है कि प्याज का भाव पचासा ना सही, चालीसा तो मारेगा ही.
प्याज पहले ही फलों के भाव पहुंच चुका है. हर साल गर्मी आते ही प्याज इतराने लगता है. जुलाई से अक्टूबर के चौमासे में प्याज के आगे क्या जनता, क्या सरकारें, सब धराशायी हो जाते हैं और प्याज से चांदी बनाते हैं बिचौलिए.
सरकार जानती है कि महंगाई की जड़ अंधेरे गोदामों की तलहटियों में है. अब महंगाई रोकने के लिए उन जड़ों को काटना जरूरी है. बकौल खाद्य मंत्री, बिचौलियों के गोदामों से जरूरी चीजें निकालकर सरकारी गोदामों में जमा करनी होंगी, तभी प्याज के बढ़ते दामों को काबू किया जा सकता है.
दिल्ली के उपराज्यपाल ने प्याज के भाव की जो सीमा तय की है, वही डराने वाली है. प्याज जरूरत है, विलासिता नहीं साहब! दिल्ली सिर्फ साउथ की आलीशान कोठियों में ही नहीं बसती, सीलमपुर में भी बस्तियां हैं और ऐसी भी बस्तियां, जिनके सिर पर साए नहीं होते. राजधानी का मेयार कोठियों से नहीं, फुटपाथ से आंकिए, तब समझ आएगा कि प्याज 40 नहीं, कम से कम 10 रुपये के भाव तो मिले, ताकि इस आबादी तक भी प्याज पकने की खुशबू पहुंच सके.