लिट्टे प्रमुख प्रभाकरण की आत्महत्या करने की खबर है. हालांकि अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है.
श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे लिट्टे पर अपनी सेना की विजय का ऐलान करने के बाद जॉर्डन से रविवार को श्रीलंका लौट आए. सेना और विद्रोहियों की लड़ाई के अंतिम दौर में दो शीर्ष तमिल विद्रोही नेता मारे गए. ऐसी भी खबर है कि करीब 300 विद्रोहियों ने आत्महत्या कर ली है. लेकिन इस खबर की अभी पुष्टि नहीं हो पाई है.
जॉर्डन का दौरा संक्षिप्त कर कोलंबो आए राजपक्षे ने कहा कि उनका देश अब लिट्टे के आतंकवाद से मुक्त हो गया है. स्वदेश वापसी पर राजपक्षे के सैकड़ों समर्थकों ने अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उनका स्वागत किया. राजपक्षे जी-11 सम्मेलन में भाग लेने के लिए जॉर्डन गए थे. रक्षा मंत्रालय ने कहा श्रीलंका की भूमि पर कदम रखने से पहले राजपक्षे ने अपना सिर जमीन पर रख कर मातृभूमि के प्रति सम्मान जताया और पूजा की.
हवाई अड्डे पर उनके स्वागत के लिए मंत्रिमंडलीय सहयोगी और बौद्ध, कैथोलिक, हिन्दू तथा मुस्लिम धर्मों के प्रमुख मौजूद थे. इस बीच खबर है कि शनिवार को सेना और विद्रोहियों के बीच लड़ाई के अंतिम दौर में भीषण संघर्ष हुआ जिसमें लिट्टे के नेता स्वर्णम और शशि मास्टर मारे गए. लिट्टे प्रमुख वी प्रभाकरन कहां है इसकी अब तक किसी को कोई जानकारी नहीं है. लेकिन अपुष्ट खबरों में कहा गया है कि देश के उत्तरी हिस्से में सेना के हाथों मिली पराजय के बाद कल रात लिट्टे के करीब 300 कैडरों ने सामूहिक आत्महत्या कर ली.
सेना का कहना है कि रविवार सुबह उसके साथ हुई लड़ाई में 70 विद्रोही मारे गए. सेना ने यह भी कहा कि देश के उत्तर पूर्व मे स्थित नंदीकदाल से भागने की कोशिश कर रहे लिट्टे के छापामारों से साथ सैनिकों का टकराव हुआ. सेना के अनुसार इस अभियान में लिट्टे की छह नावें भी नष्ट कर दी गईं. मृतकों के शव मिल चुके हैं. सेना ने बताया कि 14 मई के बाद से अब तक करीब 24 988 तमिल नागरिक लिट्टे की पकड़ वाले इलाकों से निकल कर सरकार नियंत्रित इलाकों में पहुंच चुके हैं. इन लोगों को राहत शिविरों में जगह दी गई है. सेना के अनुसार नागरिकों का आना जारी है. श्रीलंका सेना बचाव अभियान पूरे जोरशोर से चला रही है.