scorecardresearch
 

मधेसी सांसद रहे मतदान से दूर, प्रचंड नहीं बन पाए प्रधानमंत्री

नेपाल के कुछ मधेसी सांसदों द्वारा अंतिम क्षणों में संसद में हुए मतदान से खुद को दूर कर लेने के कारण माओवादी नेता पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड मंगलवार को सातवीं दफा देश के नए प्रधानमंत्री बनने में नाकाम रहे.

Advertisement
X

नेपाल के कुछ मधेसी सांसदों द्वारा अंतिम क्षणों में संसद में हुए मतदान से खुद को दूर कर लेने के कारण माओवादी नेता पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड मंगलवार को सातवीं दफा देश के नए प्रधानमंत्री बनने में नाकाम रहे.

Advertisement

प्रचंड को मतदान से दूर रहे मधेसी सांसदों से समर्थन मिलने की काफी उम्मीदें थी लेकिन उनका सपना चूर-चूर हो गया. मधेसी सांसदों का समर्थन नहीं मिल पाने की वजह से प्रचंड को संविधान सभा में हुए मतदान में बहुमत से काफी दूर रहना पड़ा. चुनाव में भी किसी नेता या दल को बहुमत नहीं मिल पाने के कारण नेपाल का राजनीतिक संकट और गहरा गया है.

25 मधेसी सांसदों की ओर से मतदान नहीं करने कारण प्रचंड को महज 252 वोट मिल पाए जबकि निर्वाचित होने के लिए उन्हें कम से कम 301 वोट की दरकार थी. मंगलवार को संपन्न हुए मतदान से पहले सांसदों की खरीद-फरोख्त, रिश्वतखोरी और सांसदों को अपने पक्ष में करने के लिए चीन से धन की मांग जैसे आरोप लगे थे. {mospagebreak}

प्रचंड के खिलाफ 110 सांसदों ने मतदान किया जबकि 159 निष्पक्ष रहे. मतदान से दूर रहे मधेसी सांसदों को पहले माओवादियों की ओर से अपने पक्ष में आने का लालच दिया गया था. लेकिन, उनका समर्थन मिलने के बावजूद वह बहुमत से काफी दूर थे. प्रचंड के मुख्य प्रतिद्वंदी और नेपाली कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार राम चन्द्र पौडयाल का प्रदर्शन भी कुछ खास नहीं रहा और उन्हें महज 119 वोट हासिल हुए.

Advertisement

राजनीतिक गतिरोध जारी रहने के बीच स्पीकर सुभाष चन्द्र नेम्बांग ने निर्वाचन की अगली तारीख 26 सितंबर तय की है. माओवादी नेता के पक्ष में मतदान करने के निर्णय के बावजूद मधेसी जनाधिकार फोरम नेपाल (एमजेएफ-एन) के नेता मतदान से दूर रहे. फोरम के एक नेता ने कहा कि पार्टी सांसदों ने इसलिए मतदान नहीं किया क्योंकि यह स्पष्ट था कि उनके समर्थन के बावजूद माओवादी नेता बहुमत हासिल नहीं कर पाएंगे.

‘कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल- यूएमएल’ भी चुनाव में तटस्थ रही जबकि मधेसी जनाधिकार फोरम ने सदन की बैठक में हिस्सा नहीं लिया. कार्यवाहक प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल ने कहा कि यह बहुत जरूरी है कि राष्ट्रीय बहुमत बने. गौरतलब है कि नेपाल के इस्तीफे के बाद से ही देश में राजनीतिक गतिरोध कायम हुआ था.

Advertisement
Advertisement