झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने अपनी जिंदगी में मजदूर से मुख्यमंत्री तक का सफर तय किया और अब वह रांची की जिला जेल में बंद हैं. उन्हें कथित तौर पर अवैध रूप से संपत्ति जुटाने के आरोप में सोमवार को ही सतर्कता ब्यूरो ने गिरफ्तार किया.
राज्य के पश्चिमी सिंहभूम जिले में पले बढ़े एक किसान के बेटे 38 वर्षीय मधु कोड़ा ने 1990 के शुरू तक खदान में बतौर मजदूर काम किया. राजनीति में आने के उनके निर्णय ने उनकी जिंदगी को ही बदलकर रख दिया और वह राज्य के उच्च पद तक पहुंचे. वह 1994 में भाजपा में शामिल हुए और 2000 में बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ा. झारखंड के गठन के बाद वह मंत्री पद पर आसीन हो गये और इसके बाद कोड़ा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
बाबूलाल मरांडी सरकार और अर्जुन मुंडा सरकार (2003 से 2005) के बीच कोड़ा खनन मंत्री रहे और राज्य की खनन संपदा पर उनका नियंत्रण रहा. 2005 में भाजपा द्वारा टिकट नहीं दिए जाने पर कोड़ा ने पार्टी छोड़ दी और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा. चुनावों के बाद उन्होंने भाजपा सरकार को समर्थन दिया. हालांकि 2006 में उन्होंने और तीन अन्य निर्दलीय विधायकों ने समर्थन वापस लेकर सरकार गिरा दी और कांग्रेस, राजद और जेएमएम से समर्थन लेकर राज्य के पहले निर्दलीय मुख्यमंत्री बने. मुख्यमंत्री बनने के बाद भी खनन मंत्रालय कोड़ा ने अपने पास ही रखा.
इस वक्त कोड़ा सांसद है और उन पर आरोप है कि उन्होंने विदेशों में धन का निवेश कर रखा है और उनके एक करीबी के जरिये पता चला है कि उन्होंने कथित रूप से लीबिया में खदान खरीदी है. आयकर विभाग, राज्य निगरानी आयोग और प्रवर्तन निदेशालय ने उन्हें आय से अधिक संपत्ति रखने और मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत गिरफ्तार किया है.