जेल में बंद सवर्ना भवन रेस्तरां के मालिक पी राजगोपाल को हार्ट अटैक आया, जिसके बाद मद्रास हाईकोर्ट ने उसे निजी अस्पताल में भर्ती होने की अनुमति दे दी है. पी राजगोपाल की बिगड़ती सेहत के मद्देनजर उसके बेटे पी सरवनन ने याचिका दायर कर निजी अस्पताल में शिफ्ट करने की गुहार लगाई थी, जिसके बाद मद्रास उच्च न्यायालय ने यह आदेश दिया है.
जस्टिस एमएम सुंदरेश और बी निर्मल कुमार की बेंच ने राजगोपाल को चेन्नई के विजया अस्पताल में भेजने की अनुमति दी. राजगोपाल ने 9 जुलाई को एक शख्स (प्रिंस शंतकुमार) को किडनैप करने और उसकी हत्या करने के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. इसके बाद उसने अदालत में आत्मसमर्पण किया था. प्रिंस शंतकुमार उस महिला का पति था, जिसे राजगोपाल अपनी तीसरी पत्नी बनाना चाहता था.
राजगोपाल के आत्मसमर्पण के बाद पुझल जेल के अधिकारियों ने उसे हिरासत में लेल लिया और उसी दिन उन्हें स्टेनली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, चेन्नई के जेल वार्ड में भर्ती कराया था. बता दें कि आत्मसमर्पण के लिए राजगोपाल नाटकीय ढंग से कोर्ट में पेश हुआ था. राजगोपाल एम्बुलेंस में कोर्ट में आया था, उस समय उसके चेहरे पर ऑक्सीजन मास्क भी लगा हुआ था. राजगोपाल के वकील के खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए आत्मसमर्पण के लिए समय बढ़ाने की मांग की थी. हालांकि, इस याचिका को मद्रास हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था.
राजगोपाल के बेटे द्वारा दायर याचिका में ये कहा गया था, 'आत्मसमर्पण के बाद दवा और ट्रीटमेंट में बदलाव के कारण पिता का स्वास्थ्य बिगड़ गया है. इस कारण 13 जुलाई 2019 की आधी रात में उन्हें कार्डियक अरेस्ट का सामना करना पड़ा. उनकी सेहत में सुधार 14 जुलाई 2019 की सुबह दिखने को मिला. डॉक्टरों ने भी सलाह दी कि उन्हें एबीजी ब्ल्ड टेस्ट कराने होंगे और उसके लिए स्टेनली मेडिकल कॉलेज में सुविधाएं उपलब्ध नहीं है इसलिए उन्हें टेस्ट के लिए हाईटेक लैब में भेजा गया है.'
याचिका में बताया गया था कि अभी राजगोपाल क्रॉनिक डायबिटिज, किडनी की स्थिति, हृदय की समस्याओं, अलग-अलग बीमारियों के कारण चलने में दिक्कत और एक्यूट गैस्ट्रोएंटेराइटिस के अलावा कई प्रकार की बीमारियों से ग्रस्त हैं.
बता दें कि इसी वर्ष मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने शंतकुमार की हत्या के लिए राजगोपाल की सजा को बरकरार रखते हुए उसे 7 जुलाई को कोर्ट और स्थानीय पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था, लेकिन वो समय पर पेश नहीं हुआ और आत्मसमर्पण के लिए समय बढ़ाने की मांग के लिए याचिका दायर की, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया. इसके बाद राजगोपाल ने 9 जुलाई को एम्बुलेंस में अदालत पहुंचकर आत्मसमर्पण कर दिया.