मैगी बनाने वाली कंपनी नेस्ले इंडिया गुणवत्ता को लेकर कितनी गंभीर है, इसका अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि कंपनी ने मैगी नूडल्स ब्रांड में खाद्य सुरक्षा मानदंडों में खामियों को लेकर संकट में घिरी नेस्ले इंडिया ने पिछले साल विज्ञापन और प्रचार पर 445 करोड़ रुपये खर्च कर दिए, लेकिन खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता की जांच या परीक्षण पर उसका खर्च इस राशि का 5 फीसदी से भी कम यानी 19 करोड़ रुपये रहा.
पिछले पांच साल से कंपनी के इन मदों में खर्च को लेकर यही स्थिति है. इस दौरान विज्ञापन और बिक्री प्रचार पर नेस्ले इंडिया का खर्च सालाना 300 से 450 करोड़ रुपये के बीच रहा है, वहीं इस दौरान प्रयोगशाला या गुणवत्ता परीक्षण पर उसका सालाना खर्च 12 से 20 करोड़ रुपये के बीच रहा.
स्विट्जरलैंड की बहुराष्ट्रीय कंपनी नेस्ले की भारतीय इकाई के सालाना वित्तीय खातों के विश्लेषण से पता चलता है कि पिछले पांच साल में कंपनी का कर्मचारियों पर खर्च 75 फीसदी बढ़ा है. यह 2010 में 433 करोड़ रुपये था, जो 2014 में बढ़कर 755 करोड़ रुपये हो गया.
कंपनी का वित्त वर्ष 31 दिसंबर तक होता है. वहीं कंपनी का विज्ञापन व बिक्री प्रचार पर खर्च इस दौरान 47 फीसदी बढ़कर 2014 में 445 करोड़ रपये पर पहुंच गया, जो 2010 में 302 करोड़ रुपये था. इसी अवधि में कंपनी का प्रयोगशाला या गुणवत्ता परीक्षण पर खर्च 45 फीसदी बढ़कर 13 से 19 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ यही रख ऐसी अन्य कंपनियों में भी देखा जा सकता है. ये कंपनियां ब्रांड प्रचार पर भारी खर्च करती हैं.
इनपुट: भाषा