गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की पीएम दावेदारी की जरूरत कहिए या फिर भारतीय जनता पार्टी की मजबूरी. 2014 लोकसभा चुनावों के मद्देनजर बीजेपी पुराने दोस्तों को छोड़ नए साथियों का दामन थामती दिख रही है. इसकी पहली भनक पार्टी के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र फडणवीस और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना सुप्रीमो राज ठाकरे की बैठक से मिली.
ऐसा लगता है कि उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना द्वारा मोदी पर बार-बार निशाना साधना महाराष्ट्र में नए सियासी समीकरण बना सकता है. दरअसल, बुधवार को देवेंद्र फडणवीस राज ठाकरे से उनके आवास पर मिले. दोनों नेताओं के बीच यह बैठक बंद कमरे में तकरीबन डेढ़ घंटे चली.
इस मीटिंग के बाद एनडीए में सियासी समीकरण बदलने को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं. गौरतलब है कि गोवा में 7 जून से होने वाली पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जहां एक तरफ मोदी को चुनाव प्रचार समिति की कमान सौंपने की तैयारी है. वहीं, एनडीए के कुनबे को बढ़ाने को लेकर भी चर्चा होगी. ऐसे में दोनों नेताओं की इस बैठक के कई मायने हैं.
सूत्रों के हवाले से खबर है कि बीजेपी एमएनएस को एनडीए का हिस्सा बनाना चाहती है. और यह गठबंधन लोकसभा चुनाव ही नहीं, महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में भी कायम रहेगा. हालांकि बीजेपी के राज्य में मुखिया ने इन खबरों को अटकलें बताया है, मगर उनके करीबी सूत्रों की मानें तो जब तक सब कुछ फिक्स और फाइनल नहीं हो जाता, तब तक पब्लिक में ऐसा ही कहा जाएगा.
अब सवाल उठता है कि अगर एमएनएस बीजेपी के साथ आती है तो मौजूदा शिवसेना-बीजेपी गठबंधन का क्या होगा? क्योंकि शिवसेना और एमएनएस ने इससे पहले साथ आने की बातों को खारिज किया है. तो क्या एनएमएस के एनडीए में शामिल होने के साथ ही कई साल पुराना शिवसेना-बीजेपी गठबंधन खत्म हो जाएगा. और क्या इस सियासी हलचल की वजह मोदी तो नहीं? क्योंकि मोदी और राज ठाकरे की करीबियां तो जगजाहिर हैं. वहीं पीएम पद की उम्मीदवारी के लिए सुषमा स्वराज को शिवसेना का समर्थन, कहीं मोदी के 'मिशन दिल्ली' के आड़े तो नहीं आ रहा.
आम चुनाव में अभी करीब साल भर का वक्त है, पर इन बैठकों के सियासी मायने तो निकलेंगे ही. आखिर राजनीति में दुश्मनी और दोस्ती सर्वकालिक नहीं होती.