महाराष्ट्र सरकार के कॉलेजों में मोबाइल पर बैन लगाने के प्रस्ताव से वहां के छात्र बेहद नाराज हैं. उन्हें लगता है कि सरकार उनकी आजादी छीनना चाहती है. सरकार का तर्क है कि मोबाइल कैमरा से साइबर अपराध बढ़ रहे हैं.
अगर सरकार की चली तो कॉलेज कैंपस में छात्रों के हाथों में मोबाइल दिखने बंद हो जाएगें. उच्च शिक्षा विभाग के इस सर्कुलर के मुताबिक मोबाइल पर प्रस्तावित बैन पर सरकार ने प्रिंसिपल और शिक्षकों से राय मांगी है.
सरकार का मानना है कि कॉलेज में छात्रों के हाथ में मोबाइल होने से साइबर अपराध बढ़ रहे हैं. प्रस्ताव में स्कूल, कॉलेजों में अनिवार्य रूप से जैमर औऱ डीकोडर लगाने की बात कही गई है.
क्या ये प्रस्ताव कानून की शक्ल ले पाएगा? ये काफी हद तक प्रिंसिपल औऱ शिक्षकों की राय पर निर्भर करेगा, जो प्रस्ताव का पुरजोर समर्थन करते दिख रहे हैं लेकिन हैरानी की बात ये है कि छात्र इस प्रस्ताव से सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे, और उन्हीं की राय को यहां कोई तवज्जो मिलती नहीं दिखती. जाहिर है छात्र नाराज होंगे ही.
वैसे राजनैतिक दल भी इस मुद्दे को भुनाने के लिए मैदान में कूद पड़े हैं. एमएनएस पक्ष में है तो शिवसेना विरोध में. इस मुद्दे पर सबकी अपनी राय होना जायज है पर सवाल ये उठता है कि कहीं इस प्रस्ताव के जरिए सरकार मोरल पुलिस तो बनने की कोशिश नहीं कर रही.