महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है. उससे पहले ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार की मुश्किलें बढ़ गई हैं. शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार समेत 70 अन्य लोगों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है. इस घोटाले का नाम है महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव बैंक (Mharashtra State Co-Operative Bank) स्कैम.
इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया था कि शरद पवार और अजित पवार समेत 70 लोगों के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया था. कोर्ट ने माना था कि इन सभी आरोपियों को इस घोटाले की पूरी जानकारी थी. शरद पवार और जयंत पाटिल समेत बैंक के अन्य डायरेक्टर के खिलाफ बैंकिंग और आरबीआई के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप है. आरोपियों में बैंक की 34 शाखाओं के अधिकारी भी शामिल हैं. हाई कोर्ट के जस्टिस एससी धर्माधिकारी और जस्टिस एसके शिंदे की बेंच ने 22 अगस्त को कहा था कि आरोपियों के खिलाफ ठोस साक्ष्य हैं. आर्थिक अपराध शाखा पांच दिनों में इनके खिलाफ केस दर्ज करे.
Sharad Pawar, NCP, on his nephew&he named in money laundering case investigated by Enforcement Directorate: Case has been registered. I've no problem if I've to go to jail. I'll be pleased as I've never had this experience. If someone plans to send me to jail,I welcome it. (24.9) pic.twitter.com/By6yaHaHKY
— ANI (@ANI) September 25, 2019
आइए...जानते हैं कि आखिरकार इस बैंक घोटाले को कैसे अंजाम दिया गया
शरद पवार, जयंत पाटिल समेत बैंक के अन्य निदेशकों ने कथित तौर पर चीनी मिल को कम दरों पर कर्ज दिया था. डिफॉल्टर की संपत्तियों को सस्ती कीमतों पर बेच दिया था. यह भी आरोप है कि इन संपत्तियों को बेचने, सस्ते लोन देने और उनका दोबारा भुगतान नहीं होने से बैंक को 2007 से 2011 के बीच करीब 1000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ. महाराष्ट्र के पूर्व सीएम और तत्कालीन वित्त मंत्री अजित पवार उस समय MSCB के डायरेक्टर थे. नाबार्ड ने महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव सोसायटी अधिनियम के तहत इस मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें पवार, हसन मुश्रीफ, कांग्रेस नेता मधुकर चव्हाण और अन्य लोगों को बैंक घोटाले का आरोपी बनाया था.
नाबार्ड की रिपोर्ट में शरद पवार, अजित पवार पर दर्ज हैं ये आरोप?
मामले को लेकर नाबार्ड व महाराष्ट्र सहकारिता विभाग की ओर से दायर की गई रिपोर्ट में बैंक को हुए नुकसान के लिए राकांपा नेता अजित पवार व बैंक के दूसरे निदेशकों को जिम्मेदार ठहराया है. रिपोर्ट में कहा है कि बैंक अधिकारियों की निष्क्रियता व उनके द्वारा लिए गए निर्णय के चलते बैंक को काफी नुकसान हुआ है. नाबार्ड की ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक चीनी मिलों को कर्ज देने में बड़े पैमाने पर बैंक के नियमों का उल्लंघन हुआ है. तत्कालीन समय में रांकपा नेता अजित पवार बैंक के निदेशक थे. नाबार्ड की इस रिपोर्ट के बावजूद कोई केस नहीं दर्ज किया गया था. इसके बाद सामाजिक कार्यकर्ता सुरेंद्र अरोड़ा ने इस मामले की शिकायत आर्थिक अपराध शाखा में की थी.
इन धाराओं के तहत दर्ज हुआ है केस