महाराष्ट्र में तबाह किसानों को राहत पहुंचाने के लिए जारी की गई मदद की राशि घूम-फिरकर फिर राज्य के खजाने में ही पहुंच जा रही है. वजह यह है कि मदद पाने के लिए किसानों के पास बैंक खाता होना जरूरी है, जबकि कई छोटे किसानों के पास यह नहीं है. जानें किसानों के मुआवजे की पूरी हकीकत
महाराष्ट्र सरकार ने सूखा प्रभावित किसानों को राहत देने के लिए फंड जारी किया था. 460 करोड़ रुपये का फंड किसानों के हाथों तक पहुंचने की बजाए राज्य सरकार के पास ही पहुंच गया. दरअसल, महाराष्ट्र में कई ऐसे किसान हैं, जिनके पास अपना कोई बैंक खाता नहीं है. ऐसे किसानों की तादाद लाखों में है. एक अंग्रेजी अखबार ने यह रिपोर्ट छापी है.
सरकारी सहायता पाने के लिए यह जरूरी शर्त है कि लाभ पाने वाले के पास बैंक खाता होना चाहिए, जिसमें रुपये ट्रांसफर किए जा सकें. ऐसे में किसानों के सामने एक और संकट खड़ा हो गया है. कई ऐसे मामले में भी देखे गए हैं, किसानों के बीच विवाद की वजह से मदद नहीं दी सकी, पर सबसे ज्यादातर मामले में बैंक अकाउंट ही 'राह का रोड़ा' साबित हो रहा है.
गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार साल 2014 से वित्तीय सहायता नकद राशि की बजाए बैंकों के जरिए दे रही है, जिससे धांधली रोकी जा सके.