बलात्कार पर आपत्तिजनक बयान देने की वजह से खुद महाराष्ट्र महिला आयोग की एक सदस्य विवादों में फंस गई हैं. राष्ट्रीय महिला आयोग ने महाराष्ट्र महिला आयोग की सदस्य डॉ. आशा मिर्जे को नोटिस भेजकर 7 दिनों में जवाब मांगा है. मिर्जे ने कहा था कि कि लड़कियों की 'बॉडी लैंग्वेज' ऐसी नहीं होनी चाहिए कि संभावित बलात्कारियों का ध्यान उन पर जाए. उनके इस सवाल से भी विवाद उठा कि दिल्ली में सामूहिक बलात्कार की शिकार हुई लड़की देर रात को फिल्म देखने क्यों गई थी?
राज्य महिला आयोग की सदस्य डॉ. आशा मिर्जे ने मंगलवार को यहां कहा था कि इस बारे में लड़कियों को बहुत सावधान रहना चाहिए कि वह क्या पहन रही हैं और कब शहर में बाहर जा रही हैं. उनकी 'बॉडी लैंग्वेज' ऐसी नहीं होनी चाहिए कि सड़कों पर घूम रहे संभावित बलात्कारियों का ध्यान उन पर जाए.
नई दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को चलती बस में 23 वर्षीय लड़की से सामूहिक बलात्कार तथा मुंबई में पिछले साल एक फोटो पत्रकार के साथ हुई ऐसी ही घटना का जिक्र करते हुए मिर्जे ने कहा कि दिल्ली में गैंगरेप की शिकार हुई निर्भया को देर रात पिक्चर देखने क्यों जाना चाहिए था. इसी तरह मुंबई में फोटो पत्रकार को शाम 6 बजे शक्ति मिल की सुनसान जगह पर क्यों जाना चाहिए था.
मिर्जे ने कहा कि लड़कियों को हमेशा सतर्क रहना चाहिए. पेशे से स्त्री रोग विशेषज्ञ मिर्जे कथित रूप से एनसीपी से भी जुड़ी हैं. उन्होंने मंगलवार को एनसीपी की युवा शाखा के एक समारोह में जब यह टिप्पणियां कीं, तब मंच पर एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले भी मौजूद थीं.
हालांकि बाद में एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने उनके बयान से किनारा करते हुए उनका एनसीपी से संबंध होने से ही इनकार कर दिया. आशा मिर्जे के इस बयान पर तमाम राजनीतिक दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. कांग्रेस, बीजेपी और आम आदमी पार्टी ने भी इस बयान की भर्त्सना की है.