महात्मा गांधी का चरखा मंगलवार को नीलाम हुआ. ब्रिटेन में हुई एक नीलामी में यह 1 लाख 10 हजार पौंड (फिलहाल पौंड की कीमत के अनुसार 1 करोड़ 9 लाख 10 हजार 900 रुपये) में बिका, जो अनुमानित मूल्य से करीब दोगुना है. गांधी जी ने ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान यरवदा जेल में इस चरखे का इस्तेमाल किया था.
श्रापशायर में मलोक नीलामी घर द्वारा ऐतिहासिक दस्तावेजों व शिल्पकृतियों की विशेष नीलामी में गांधी जी का वसीयतनामा भी 20,000 पौंड में बिक गया.
मलोक के एक अधिकारी माइकल मोरिस ने बताया, ‘गांधी जी का चरखा 1,10,000 पौंड में नीलाम हुआ, जबकि उनका वसीयतनामा 20,000 पौंड में नीलाम हुआ.’ चरखे के लिए न्यूनतम बोली 60 हजार पौंड की लगी.
गांधी जी ने पुणे में जेल में रहते हुए इस चरखे का इस्तेमाल किया था और बाद में इसे अमेरिकन फ्री मेथोडिस्ट मिशनरी रेव्ड फ्लायड ए पफर को उपहार स्वरूप दे दिया था.
गांधी जी का वसीयतनाम साबरमती आश्रम में गुजराती में लिखा गया था और यह अत्यधिक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जो 1921 के समय का है.