नक्सली हमले में मारे गए छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष, नंद कुमार पटेल और उनके पुत्र दिनेश पटेल की कई हजार लोगों की मौजूदगी में सोमवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि कर दी गई.
राजधानी रायपुर से लगभग 300 किलोमीटर दूर रायगढ़ जिले के उनके पैतृक गांव नंदेली में पटेल और उनके पुत्र को 'नंद कुमार पटेल अमर रहे' के नारों के बीच उनके छोटे पुत्र उमेश पटेल ने जब मुखाग्नि दी तो वहां मौजूद हजारों की भीड़ के आंसू छलक पड़े. लोगों ने अपने नेता को अश्रुपूर्ण विदाई दी.
पटेल को अंतिम विदाई देने के लिए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, छत्तीसगढ़ के राज्यपाल शेखर दत्त, मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, केन्द्रीय राज्यमंत्री डॉ. चरणदास महंत, कांग्रेस कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा, पूर्व केन्द्रीय मंत्री मोहसिना किदवई, मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया, मध्य प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता अजय सिंह, सांसद एवं उद्योगपति नवीन जिंदल, राज्य सरकार के मंत्री तथा बड़ी संख्या में कांग्रेस नेता और आम लोग मौजूद थे.
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी नई दिल्ली से विशेष विमान से अंत्येष्टि में हिस्सा लेने सीधे रायगढ़ पहुंचे. राहुल गांधी सहित सभी नेताओं ने पटेल एवं उनके पुत्र के पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की. अंत्येष्टि स्थल पर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के पहुंचने पर कुछ क्षण के लिए कुछ लोग आक्रोशित हो गए, बाद में माहौल सामान्य हो गया.
राज्य के सुकमा जिले में दरभा घाटी में दो दिन पूर्व परिवर्तन यात्रा पर हुए नक्सली हमले में पटेल उनके पुत्र और पार्टी के वरिष्ठ नेता महेन्द्र कर्मा सहित 29 लोगों की मौत हो गई थी. इस हमले में घायल पूर्व केन्द्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ला सहित 20 लोगों का विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है. शुक्ला सहित पांच लोगों की हालत गंभीर बताई गई है.
पटेल 1979 में पहली बार जिला पंचायत सदस्य चुने गए थे. वह अपने गांव नंदेली के आठ वर्षो तक सरपंच रहे. वह 1990 में पहली बार खरसिया से अविभाजित मध्य प्रदेश विधानसभा के सदस्य चुने गए. वह 1995 में दिग्विजय सिंह सरकार में गृह राज्य मंत्री बनाए गए.
पटेल 1998 में फिर खरसिया से विधायक चुने गए. वह दिग्विजय सिंह सरकार में इस बार गृह एवं विमानन मंत्री बनाए गए. वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ के गठन के समय जोगी सरकार में भी उन्हें गृह मंत्री बनाया गया. इस पद पर वह 2003 तक रहे.
पटेल इसके बाद खरसिया से 2003 तथा 2008 में भी विधायक चुने गए. लगभग दो वर्ष पहले उन्हें प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था. पटेल ने जिस समय पार्टी अध्यक्ष का दायित्व संभाला था, संगठन एकदम बदहाल स्थिति में था. उन्होंने इन दो वर्षों में लगातार कई आंदोलन किए और पार्टी में नई जान फूंकने का काम किया. लगभग दो माह पहले उन्होंने राज्य में परिवर्तन यात्रा शुरू की, जिसे मिल रहे समर्थन से वह काफी खुश थे.