भांजे की गिरेबान से शुरू हुई रेलवे में घूस एक्सप्रेस की जांच अब मामा के दरवाजे तक पहुंच गई है. सूत्रों से खबर है कि सीबीआई अब रेल मंत्री पवन बंसल से पूछताछ की तैयारी में है और मेल टुडे ने जो खुलासे किए हैं, उसके मुताबिक इस घूस के खेल से बंसल के तार साफ-साफ जुड़े लगते हैं.
सीबीआई के सूत्रों से आज तक को जो जानकारी पहुंची है, उसके मुताबिक बंसल के निजी सचिव राहुल भंडारी ने पूछताछ में माना है कि विजय सिंगला की आवाजाही खुले तौर पर न सिर्फ रेल भवन में थी, बल्कि उनके कमरे में विजय सिंगला भी खूब आया जाया करते थे. विजय सिंगला ने ही पवन बंसल के घर पर ही महेश कुमार की मुलाकात पवन बंसल से कराई थी.
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रेल घूस कांड में बंसल पर उठते सवालों की एक कड़ी वो मुंबई दौरा भी है, जो उन्होंने 16 अप्रैल को किया था. सीबीआई के सूत्रों की मानें तो कॉल डिटेल में जो जानकारियां मिली हैं, 16 अप्रैल की यात्रा के उसके तार जुड़े हुए हैं.
अलग-अलग डिब्बों को जोड़कर जो घूस की गाड़ी तैयार की गई है, अब उसमें कई और चौंकाने वाले भी खुलासे हुए हैं. मेल टुडे ने बाकायदा परत-दर-परत ये खुलासा किया है कि घूस-कांड के तार पवन बंसल से कैसे जुड़े हैं.
मेल टुडे की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के मुताबिक, सीबीआई की जांच में इन बातों का जिक्र है कि 7 अप्रैल को महेश कुमार रेल मंत्री पवन बंसल के 6 अशोका रोड वाले सरकारी आवास पर गए थे. वहां बंसल के भांजे विजय सिंगला, जी जी ट्रॉनिक्स के एमडी मंजूनाथ और संदीप गोयल भी थे.
महेश कुमार रेलवे बोर्ड में मेंबर (इलेक्ट्रिकल) बनना चाहते थे. इसी की पैरवी के लिए वो मुंबई में भी 17 अप्रैल को पवन बंसल से मिले. 17 अप्रैल को ही गोयल ने महेश कुमार को एक नंबर पर फोन कर सिंगला से बात करने को कहा.
महेश कुमार ने गोयल के दिए नंबर 011-23782812 पर विजय सिंगला से बात भी की. मेल टुडे ने पता लगाया तो ये नंबर रेल मंत्री के सरकारी आवास का नंबर निकला. सूत्रों के मुताबिक, महेश कुमार फिर 29 अप्रैल को रेल मंत्री से मिले. रेल मंत्री ने उस दिन कहा कि मेंबर (स्टाफ) के लिए उनकी फाइल बढ़ा दी गई हैं. मनपसंद पद के लिए बाद में देखेंगे.
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सीबीआई के हाथ धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं. निजी सचिव तक की पूछताछ हो चुकी है. अब तैयारी रेल मंत्री से भी पूछताछ की है. जानकारी के मुताबिक, सीबीआई की लीगल विंग ने रेल मंत्री से पूछताछ की इजाजत कानूनी तौर पर दे भी दी है. अब शायद उहापोह इतनी ही बनी हुई है कि उनके मंत्री रहते हुए पूछताछ की जाए या फिर कुर्सी छोड़ने का इंतजार कर लिया जाए.