मेल टुडे ने स्किल और एंटरप्रेन्योर समिट का आयोजन किया. इसमें देश भर के अलग-अलग छोटे बड़े उद्योगों से जुड़े लोग पहुंचे और अपने-अपने अनुभवों को साझा किया. देश के आर्थिक विकास के दौड़ते पहियों को पंख देने वाले उद्योगपतियों को मेल टुडे ने एक ऐसा प्लेटफॉर्म दिया, जहां वो दूसरे क्षेत्रों से आए लोगों के साथ मिलकर विकास की गति को मजबूती प्रदान कर सकें.
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह के अभिभाषण से इस समिट की शुरुआत हुई. इसके बाद अलग-अलग पैनल पर विभिन्न क्षेत्रों से आए उद्यमियों ने अपनी-अपनी राय रखी. सभी का मकसद स्किल्ड इंडिया को बढ़ावा देना था. किसी ने स्किल्ड इंडिया को आने वाले नए युग की शुरुआत माना तो किसी ने इसे आज के परिवेश में ग्लोबल होते भारत की जरूरत. प्रथम फाउंडेशन के माधव चवण का कहना है कि एजुकेटेड इंडिया से ज्यादा जरूरी स्किल्ड इंडिया है. स्किल्ड होने से कम से कम एक शुरुआत मिलेगी, जिसके पीछे-पीछे एजुकेशन अपने आप रास्ता बना लेगा.
इसका सबसे बड़ा उदाहरण दार्जिलिंग से आई लक्ष्मी दोरजी थीं, जिन्होंने छोटे से गांव से एक वक्त की रोटी का संघर्ष भी देखा है. अच्छी ट्रेनिंग और एक लोन के बाद आज वो दार्जिलिंग में ही अपना एक पार्लर चलाती हैं और आज इतनी सक्षम हैं कि इन्होंने चार लोगों कौ नौकारी पर रखा है. लक्ष्मी दोरजी ने कहा कि बहुत बड़ी लड़ाई लड़ी है मैंने, पर कुछ कर दिखाने की ललक थी मुझमें और मैं अब अपने परिवार के साथ-साथ दूसरे चार परिवारों को संभाल रही हूं. अभी और भी बहुत कुछ करना है.
लक्ष्मी जैसे और भी प्रेरणा देने वाली कहानियां इस समिट का हिस्सा बनीं और सभी ने मेल टुडे की बेहतरीन कोशिश की सराहना की.