राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने चीन के शीर्ष नेतृत्व के साथ अपनी बातचीत से पहले मंगलवार को कहा कि चीन के साथ भारत के संबंधों का मुख्य मकसद समझौते वाले क्षेत्रों का विस्तार करना और मतभेदों को कम करना है.
भारत कभी मतभेद बढ़ाना नहीं चाहता
दक्षिणी चीन के औद्योगिक शहर गुआंगचउ से अपने चार दिवसीय चीन दौरे की शुरुआत करते हुए मुखर्जी ने कहा कि हम कभी भी मतभेदों को बढ़ाने में शामिल नहीं हैं. हमने मतभेदों को
कम किया है और समझौते वाले क्षेत्रों का विस्तार किया है. उन्होंने कहा कि यह भारतीय कूटनीति का मुख्य सिद्धांत है.
Frequent bilateral visits reflect expanding relations b/w the two great nations (India & China): President Mukherjee pic.twitter.com/IqM0LHtpRu
— ANI (@ANI_news) May 24, 2016
राष्ट्रपति ने भारतीय समुदाय को संबोधित किया
राष्ट्रपति यहां चीन में भारत के राजदूत विजय गोखले की ओर से आयोजित स्वागत समारोह में भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित कर रहे. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक, आईएमएफ
और ब्रिक्स जैसे बहुपक्षीय मंचों पर भारत और चीन के बीच बढ़ते सहयोग की मिसाल दी. उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने इन संस्थाओं में साथ मिलकर काम किया है.
एनएसजी सदस्यता और मसूद पर चीनी रूख की होगी बात
गुरुवार को चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग समेत वहां के शीर्ष नेतृत्व से प्रणब मुखर्जी की बातचीत में एनएसजी में भारत की सदस्यता पर चीन का विरोध मुख्य मसला हो सकात है. इसके
अलावा जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी के तौर पर प्रतिबंधित करने के संयुक्त राष्ट्र के कदम को बाधित करने की चीन की कार्रवाई पर भी चर्चा हो सकती है.
मुखर्जी की राष्ट्रपति के तौर पर चीन की पहली यात्रा
अपने लंबे राजनीतिक करियर में विभिन्न पदों पर रहते हुए चीन की कई यात्राएं कर चुके मुखर्जी की राष्ट्रपति के तौर पर चीन की यह पहली यात्रा है. सूत्रों के अनुसार वह इन मुद्दों पर भारत
की चिंता प्रकट कर सकते हैं. साथ ही इन पर भारत के रुख को पुरजोर तरीके से पेश कर सकते हैं.
President Pranab Mukherjee on board a cruise ship in Guangzhou (China) pic.twitter.com/M1CuFHMmVI
— ANI (@ANI_news) May 24, 2016
एनएसजी की सदस्यता की पुरजोर कोशिश करेंगे मुखर्जी
दक्षिण कोरिया में अगले महीने होने वाली 48 सदस्यीय परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की बैठक के संदर्भ में परमाणु के मुद्दे पर नई दिल्ली के रुख को अहम माना जा रहा है. इस बैठक में भारत
एनएसजी की सदस्यता की पुरजोर कोशिश कर सकता है. एनएसजी की भारतीय सदस्यता असैन्य परमाणु कार्यक्रम के शांतिपूर्ण मकसद का हल होगा.
डब्ल्यूटीओ में चीन की मौजूदगी जरूरी
मुखर्जी ने याद किया कि कुछ दशक पहले वाणिज्य मंत्री के तौर पर उन्होंने हैरानी जताई थी कि विश्व व्यापार संगठन चीन के बगैर कैसे काम कर सकता है. उन्होंने कहा कि चीन के बगैर
डब्ल्यूटीओ नहीं हो सकता. चीन की मौजूदगी जरूरी है. हम एक दूसरे के साथ निकट सहयोग के साथ काम करते हैं.
चीनी राष्ट्रपति से मिलेंगे पीएम मोदी
मुखर्जी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग इस साल चीन में आयोजित होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन से अलग मुलाकात करेंगे. साल 2008 की वैश्विक
आर्थिक मंदी का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि भारत और चीन ने अपनी अर्थव्यवस्थाओं के माध्यम से वैश्विक अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में बड़ा योगदान दिया.
परस्पर सहयोग से काम करें 2.5 अरब लोग
मुखर्जी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था बीते एक दशक में स्थिरता के साथ बढ़ी है. अब यह 7.6 फीसदी की दर से बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि अगर दोनों देशों के 2.5 अरब लोग साथ
मिलकर काम करें. अगर हम अपनी गतिविधियों में सहयोग करते हैं और विविध बनाते हैं तो हमारे पास क्षमता है.
चीन के साथ हमारा कारोबार बढ़कर 71 अरब डॉलर हुआ
राष्ट्रपति ने कहा कि सर्वश्रेष्ठ कदमों और विकास के अनुभवों को साझा करने से समृद्धि को स्थिर बनाने और आगे की दिशा में बढ़ाने के लिए बड़े मौके पैदा होंगे. उन्होंने कहा कि साल 2000
में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2.9 अरब डॉलर था और अब यह बढ़कर 71 अरब डॉलर हो गया है. हमारा मानना है कि अगर दोनों देशों के बीच निवेश और सहयोग का विस्तार होता
है तो बहुत अधिक संभावना है.