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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा- CVC की नियुक्ति ज्‍यादा ट्रांसपैरेंट तरीके से हो

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि आखिर केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) और सतर्कता आयुक्तों की नियुक्ति सिर्फ आईएएस अधिकारियों तक ही सीमित क्यों हैं, इन पदों के लिए सार्वजनिक तौर पर आवेदन आमंत्रित क्‍यों नहीं किए जाते हैं?

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सुप्रीम कोर्ट
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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि आखिर केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) और सतर्कता आयुक्तों की नियुक्ति सिर्फ आईएएस अधिकारियों तक ही सीमित क्यों हैं, इन पदों के लिए सार्वजनिक तौर पर आवेदन आमंत्रित क्‍यों नहीं किए जाते हैं?

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चीफ जस्टिस आरएम लोढा़ समेत तीन जजों की बेंच ने कहा कि सीवीसी और सतर्कता आयुक्तों के पदों पर नियुक्तियां केवल आईएसएस अधिकारियों तक ही सीमित नहीं रखी जानी चाहिए, बल्कि इसे सभी के लिए खोला जाना चाहिए.

बेंच ने कहा कि 126 करोड़ की आबादी वाले देश में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है. कोर्ट ने पूछा कि देश में जब प्रतिभाएं मौजूद हों, तो ऐसी नियुक्ति प्रक्रिया क्यों अपनाई जानी चाहिए, जिससे काबिल शख्स सीवीसी जैसे पद से वंचित रह जाएं? याचिका एक गैरसरकारी संस्था की है, जिस पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ये बातें कहीं.

याचिका में मांग की गई है कि सीवीसी और सतर्कता आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया को व्यापक और पारदर्शी बनाए जाने के लिए कोर्ट सरकार को निर्दश दे.

याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा, 'कोर्ट ने कहा कि ये सब सिर्फ सेक्रेटरी लोग ही क्यों तय करें? देश में बहुत सारे अच्छे-अच्छे लोग हैं, उनको भी मौका आवेदन करने का, नॉमिनेट करने का मौका होना चाहिए. देखा जा रहा है कि इस तरह के जितने भी अप्‍वाइंटमेंट होते हैं, वे सारे सरकार में बैठे हुए कुछ सेक्रेटरी खुद ही शॉर्टलिस्‍ट करके भेज देते हैं. इससे जो बाकी लोग हैं, उस पोस्ट के लिए फिट हैं, उनका कंसीडरेशन होता ही नहीं. कोई पारदर्शिता नहीं है...इस पर कोर्ट ने जवाब मांगा है.'

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सुनवाई के दौरान मशहूर वकील राम जेठमलानी ने कोर्ट में दलील दी कि उन्हें मीडिया के जरिए पता चला है कि सरकार ने सीवीसी पद के लिए उम्मीदवार चुन लिया है. अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि सीवीसी की नियुक्ति की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है और मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर इस तरह के निष्कर्ष नहीं निकाले जाने चाहिए.

अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिलाया कि इस मामले के पेंडिंग रहने के दौरान सीवीसी की नियुक्ति में कोई आखिरी फैसला नहीं किया जाएगा. इस आश्वासन के बाद कोर्ट ने सीवीसी की नियुक्ति में पारदर्शिता के मुद्दे पर 9 अक्टूबर तक केंद्र से जवाब दाखिल करने को कहा है. मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 14 अक्टूबर की तारीख तय की है.

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