काले धन पर गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) के प्रमुख सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एमबी शाह ने कहा है कि विदेशों में काला धन रखने वाले भारतीयों के नामों और खातों की जानकारी के लिए विदेशी सरकारों को बाध्य करने के लिए कर चोरी को गंभीर अपराध बनाया जाना चाहिए.
एसआईटी चेयरमैन शाह का मानना है कि इससे विदेशों में काले धन का पता लगाने के भारत के प्रयासों को अधिक बल मिलेगा, साथ ही देश में काले धन के सृजन पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी. फिलहाल भारत में कर चोरी दीवानी अपराध की श्रेणी में रखा गया है और इससे आयकर कानून, 1961 के तहत निपटा जाता है. इसी तरह विदेशी विनियम उल्लंघन के मामले विदेशी विनिमय प्रबंधन कानून (फेमा) के दायरे में आते हैं. दोनों ही मामले दीवानी प्रकृति के हैं और इनमें आपराधिक मामला नहीं चलाया जा सकता है.
शाह ने कहा, 'हमने कर चोरी को गंभीर अपराध बनाने के लिए जोर दिया है. इसका एक कारण यह है कि यदि कर चोरी को दीवानी मामला ही बनाए रखा जाता है, तो विदेशी सरकारें सहयोग नहीं करेंगी. उन्होंने कहा कि यदि इसे गंभीर अपराध बनाया जाता है, तो इसमें कोई मुश्किल नहीं आएगी और दूसरे देशों की सरकारें नामों की जानकारी देने को बाध्य होंगी. इसका यही मुख्य उद्देश्य है.'
- इनपुट भाषा से