बीजेपी की फायरब्रांड नेता उमा भारती ने कहा है कि जिस तरह मां और वेश्या के बीच तुलना नहीं की जा सकती, उसी तरह देवालय और शौचालय की तुलना नहीं की जा सकती है. उमा भारती ने 'देवालय बनाम शौचालय' की बहस को ही बेमानी करार दे दिया. उन्होंने कहा कि इन दोनों शब्दों का इस्तेमाल एक साथ करना ठीक नहीं है.
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के दूसरे दिन, सेशन 5 में 'देवालय बनाम शौचालय' विषय पर आयोजित चर्चा में उमा भारती के अलावा केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश और मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी हिस्सा लिया.
उमा ने अपनी बात रखते हुए कहा कि निर्मल ग्राम अभियान की जितनी जरूरत गांवों में है, उससे ज्यादा जरूरत दिल्ली, मुंबई, कोलकाता जैसे महानगरों में है, जहां मजदूरों के परिवार खुले में शौच के लिए मजबूर हैं. उन्होंने कहा कि महानगरों में घर नहीं बनने देने चाहिए, जब तक वे टॉयलेट का इंतजाम न करें.
उमा ने जब जयराम से इस मसले को सरकार के सामने रखने को कहा, तो उन्होंने उमा की बात का समर्थन तो किया, लेकिन यह भी कहा कि वे शहरी नहीं, ग्रामीण विकास मंत्री हैं.
उमा ने देश के अमीरों से अपील भी की कि वे अपने बेटे-बेटियों की शादी पर करोड़ों-अरबों खर्च करने की बजाय गरीबों के लिए 1000 टॉयलेट बनाएं.
जयराम रमेश ने कहा कि 'देवालय बनाम शौचालय' को राष्ट्रीय मुद्दा बनाना जरूरी था. उन्होंने कहा, 'मेरे बयान से ही यह राष्ट्रीय मसला बना. मेरा यही मकसद था. मैंने विद्या बालन को ब्रांड एम्बेसडर बनाया.'
रमेश ने बैतूल की अनीता नारे का जिक्र किया, जो अपने ससुराल में शौचालय नहीं होने की वजह से मायके लौट आई थीं. रेलवे को सबसे बड़ा ओपन टॉयलेट करार देते हुए जयराम ने कहा कि हमें इस मसले पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है.
जयराम रमेश ने कहा कि क्रिकेट राष्ट्रीय जुनून है, राजनीति भी राष्ट्रीय जुनून है, बॉलीवुड भी एक राष्ट्रीय जुनून है. इसी तरह साफ-सफाई को भी हमें राष्ट्रीय जुनून बनाना चाहिए. बहस के दौरान जयराम ने जब उमा से 'शौच मुक्त भारत' अभियान के लिए अनशन पर बैठने का आह्वान किया, तो बीजेपी नेता तुरंत तैयार हो गईं.