प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने हाल ही में अपनी चीन यात्रा के दौरान चीन को पड़ोसी धर्म के बारे में समझाया था. इस बीच प्रशांत महासागर में अमेरिकी नौसैनिक अड्डे गुआम के पास मालाबार नौसैनिक अभ्यास शुरू हो गया है. इस युद्ध अभ्यास में भारत, अमेरिका और जापान के युद्धपोत भाग ले रहे हैं.
यह अभ्यास 16 जून तक चलेगा. अभ्यास का पहला चरण हार्बर फेज का होगा और इसके बाद 16 जून तक समुद्री चरण का होगा, जिसका मकसद ये संदेश देना है कि समंदर में अब चीन की दादागीरी नहीं चलेगी.
इस अभ्यास में भारतीय नौसेना की ओर से देश में बना स्वदेशी स्टेल्थ फ्रिगेट सह्याद्री के अलावा कमोर्ता वर्ग की दो पनडुब्बी नाशक कार्वेट, एक टैंकर जहाज शक्ति और समुद्र टोही विमान पी-8-आई भाग ले रहे हैं. अमेरिका की ओर से इस साझा अभ्यास में विमानवाहक पोत रोनाल्ड रेगन की अगुवाई में एक करियर स्ट्राइक ग्रुप शामिल है. जिसमें करीब 10 युद्धपोत शामिल हैं. जापानी नौसेना भी मालाबार-2018 में भाग लेने के लिए अपने एक हेलीकाप्टर कैरियर को उतार रही है. इसके अलावा जापान की ओर से सोरयो वर्ग की पनड़ुब्बी और लंबी दूरी के विमान पी-1 को शामिल किया गया है.
इस सालाना अभ्यास में बड़ी संख्या में तीनों देशों के विमान, नौसेना की परमाणु पनडुब्बियां और जंगी जहाज हिस्सा ले रही हैं. मालाबार नौसैनिक अभ्यास को लेकर चीन मानता है कि मालाबार अभ्यास के तहत तीन देश उसके खिलाफ सैन्य लामबंदी कर रहे हैं. मलाबार युद्ध अभ्यास सबसे पहले 1992 में भारत और अमेरिका की नौसेनाओं के बीच शुरू हुआ था.
अमेरिका की ओर से इस साझा अभ्यास में विमानवाहक पोत रोनाल्ड रेगन की अगुवाई में एक करियर स्ट्राइक ग्रुप शामिल है जिसमें करीब 10 युद्धपोत शामिल हैं. ये शिप नैम हॉक मिसाइल और दूसरी अमेरिकी मिसाइल से लैस है. अमेरिका इस युद्धाभ्यास के लिए गाइडेड मिसाइल क्रूजर यूएसएस प्रिंसटन (सीजी 59), गाइडेड मिसाइल विध्वंसक यूएसएस हावर्ड के अलावा अन्य कई बेहद शक्तिशाली युद्धपोत व सबसे प्रतिष्ठित सबमरीन लॉस एंजेल्स को भी भेजा है. हाल के वर्षों में किसी भी युद्धाभ्यास में अमेरिका की तरफ से भेजी गई यह सबसे शक्तिशाली युद्धपोतों व नौसैनिकों की फौज है.
मालाबार अभ्यास में जापान ने दो युद्धपोत भेजे हैं. युद्धाभ्यास में जापान अपना 27 हजार टन वजनी हेलिकॉप्टर कैरियर इजुमो और अन्य जंगी बेड़े लेकर आया है. खास बात है कि 9 हेलिकॉप्टर ढो सकने में सक्षम यह जापानी बेड़ा पनडुब्बी विरोधी युद्ध के लिए इस्तेमाल होता है.
मालाबार अभ्यास के जरिये भारतीय नौसेना यह सामरिक संदेश देने की कोशिश कर रही है कि वह केवल हिंद महासागर के इलाके तक ही खुद को सीमित नहीं रखना चाहती है बल्कि दक्षिण चीन सागर के पार प्रशांत महासागर तक पहुंचने की भी उसकी क्षमता है और समंदर में चीन की दादागीरी नहीं चलेगी.