मालेगांव धमाकों के सिलसिले में नासिक की अदालत ने साध्वी प्रज्ञा, श्याम साहू और दिलीप को 6 नवंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है. इन तीनों के हिंदू संगठनों से जुड़े होने की बात सामने आ रही है. यह पहली बार है जब किसी आतंकवादी घटना में किसी साध्वी और हिंदू संगठनों का हाथ होने की बात उठ रही है. मालेगांव धमाके के अलावा इनका संबंध गुजरात में हुए धमाकों से होने की भी आशंका है. मुंबई पुलिस की एंटी टेररिस्ट स्क्वैड इनसे गहराई से पूछताछ कर रही है.
मालेगांव धमाकों के सिलसिले में गिरफ्तार साध्वी प्रज्ञा कई हिंदू संगठनों से जुड़ी रही है और पिछले कुछ सालों से वह वंदे मातरम नाम से ख़ुद का एक संगठन चला रही थी. प्रज्ञा मूलत: मध्य प्रदेश के भोपाल की रहने वाली है. कई सालों से वह गुजरात के सूरत में रह रही थी. शुरूआत में प्रज्ञा बीजेपी के छात्र संगठन एबीवीपी से जुड़ी रही. इसके बाद कई साल आरएसएस में रही और 6 साल पहले उन्होंने वंदे मातरम् नाम का संगठन बनाया था. अपने इस संगठन का संचालन वह भोपाल से करती थी.
प्रज्ञा से जुड़ी सभी बातों का खुलासा उसके पिता चंद्रपाल सिंह ने किया है और बताया है कि मालेगांव धमाके में जिस मोटरसाइकिल का इस्तेमाल किया गया था, वह साध्वी के नाम से ही थी. हालांकि साध्वी के पिता का कहना है कि चार साल पहले यह मोटरसाइकिल बेच दी गई थी.
मालेगांव ब्लास्ट के सिलसिले में साध्वी प्रज्ञा को गिरफ्तार किए जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया हुई है. साध्वी की गिरफ्तारी के खिलाफ इंदौर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया. उनका कहना था कि एबीवीपी को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है. इधर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी इन आरोपों की निन्दा की है कि मालेगांव और मोदासा धमाकों के पीछे हिंदू संगठनों का हाथ है. आरएसएस का कहना है कि असली अपराधियों की ओर से ध्यान भटकाने के लिए ऐसा किया जा रहा है.