केंद्र में सत्तासीन बीजेपी ने रविवार को कांग्रेस के उन आरोपों को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया कि मालेगांव मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय के 'सीधे दखल' के कारण एनआईए का रुख पलटा. बीजेपी ने ने इस बात पर जोर दिया कि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और अन्य से आरोप हटाया जाना कानून के अनुरूप हुआ.
इसके साथ ही सत्तारूढ़ दल ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच करवाए जाने की मांग करने के लिए कांग्रेस को आड़े हाथ लिया. बीजेपी ने कहा कि यूपीए के शासनकाल में मामले में कोई साक्ष्य एकत्र नहीं किया जा सका और इसे वर्षों तक खींचा गया. पार्टी के राष्ट्रीय सचिव श्रीकांत शर्मा ने कहा, 'एनआईए द्वारा प्रज्ञा को क्लीनचिट देने और अन्य प्रमुख आरोपी कर्नल पीएस पुरोहित के ऊपर से मकोका के तहत लगाए गए आरोप कानून के तहत हटाए गए.'
'कानूनी प्रक्रिया पर सवाल उठा रही कांग्रेस'
उन्होंने कहा, 'यूपीए जब सत्ता में थी तो अदालतों में बरसों तक यह मामला खिंचा, लेकिन कोई साक्ष्य पेश नहीं किया गया. अब कांग्रेस समूची कानूनी प्रक्रिया पर सवाल उठा रही है. उसे आतंकवाद को रंग नहीं देना चाहिए और मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए.' शर्मा ने आगे कहा, 'कांग्रेस नेताओं ने याकूब मेमन (1993 के मुंबई बम विस्फोटों के दोषी) और अफजल गुरु (2001 के संसद हमले के दोषी) को फांसी चढ़ाने को लेकर सवाल उठाकर सुप्रीम कोर्ट का अपमान किया था. अब वे उच्चतम न्यायालय की निगरानी वाली जांच की मांग कर रहे हैं, भले ही मालेगांव विस्फोट मामले में सब कुछ कानून के तहत हुआ है.
'इशरत मामले में SC को गुमराह किया'
शर्मा ने कहा कि कुछ आरोपियों के खिलाफ कठोर मकोका आरोप अदालत के निर्देश पर हटाए गए. उन्होंने इशरत जहां मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि यूपीए सरकार ने हलफनामा बदलकर सर्वोच्च न्यायालय को गुमराह किया, जबकि सरकारी एजेंसियों ने पुष्टि की थी कि वह एक एलईटी आतंकवादी थी.
'अदालतों ने एजेंसियों पर भरोसा जताया'
बीजेपी प्रवक्ता नलिन कोहली ने मालेगांव मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा सीधे हस्तक्षेप के कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए आरोप लगाया कि यूपीए के दस साल के शासनकाल में जांच एजेंसियों को उनका काम नहीं करने दिया गया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की सरकार के तहत कोई हस्तक्षेप नहीं हुआ. अदालतों ने एजेंसियों पर भरोसा जताया है और विपरीत टिप्पणी नहीं की है.
'कांग्रेस के शासन में पिंजड़े में बंद तोता'
कोहली ने आगे कहा कि यदि एजेंसियों को यह लगा कि आगे बढ़ने के लिए साक्ष्यों का अभाव है तो वह अब उनको दुरूस्त करेंगी. उन्होंने कहा, 'एजेंसियां संभवत: कांग्रेस के तहत राजनीतिक कारणों से काम कर रही हों. कांग्रेस नीत यूपीए के शासनकाल में घोटाले के बाद घोटाले आए. जांच एजेंसियों को उनका काम नहीं करने दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने उनके ही दौर में सीबीआई को पिंजड़े में बंद तोता बताया था.'