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ममता हैं कि मानती नहीं, भागवत-शाह को रोका, तोगड़िया चार साल से हैं बैन

माना जा रहा है कि ममता बनर्जी मोहन भागवत के कार्यक्रम को रोक कर सिर्फ अपने वोटरों को ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी संदेश देना चाहती हैं कि हिंदुत्व के एजेंडे को केवल वही रोक सकती हैं. दूसरी ओर बीजेपी भी मोहन भागवत के कार्यक्रम के रद्द होने को भुनाने में लगी है और ममता पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगा रही है.

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ममता बनर्जी की फाइल फोटो
ममता बनर्जी की फाइल फोटो

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देश की राजनीति में एक चलन इन दिनों आम होता जा रहा है. ये है सरकार में बैठे नेता और दल द्वारा अपनी सत्ता की सरहद में विरोधियों की एंट्री बैन कर देने का चलन. इस तरह के रवैए को विपक्ष तानाशाही बताता है, तो सत्ता पक्ष कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए अपने कदम को जायज ठहराता है.

संघ प्रमुख के लिए सभागार नहीं

तीन अक्टूबर को कोलकाता के प्रसिद्ध सरकारी स्वामित्व वाले सभागार महाजति सदन में एक कार्यक्रम होना था. इसमें मोहन भागवत भाषण देने वाले थे, लेकिन अधिकारियों ने इस हॉल की बुकिंग रद्द कर दी. भागवत के भाषण का विषय था 'भारत के राष्ट्रवादी आंदोलन में सिस्टर निवेदिता की भूमिका.

माना जा रहा है कि ममता बनर्जी मोहन भागवत के कार्यक्रम को रोक कर सिर्फ अपने वोटरों को ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी संदेश देना चाहती हैं कि हिंदुत्व के एजेंडे को केवल वही रोक सकती हैं. दूसरी ओर बीजेपी भी मोहन भागवत के कार्यक्रम के रद्द होने को भुनाने में लगी है और ममता पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगा रही है.

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भागवत के बाद शाह को भी रोका

ममता बनर्जी के इस सियासी तेवर का शिकार मोहन भागवत ही नहीं बल्कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी हुए हैं. अमित शाह 11 से 13 सितंबर के बीच पश्चिम बंगाल के दौरे पर रहेंगे. इस दौरान 12 सितंबर को उनके कार्यक्रम के लिए नेताजी इनडोर स्टेडियम बुक किया गया था, लेकिन वहां पर कुछ काम चलने का तर्क देकर प्रशासन ने इसकी परमिशन नहीं दी. इसे लेकर बीजेपी के तेवर और गर्म हो गए हैं.

ममता के राज में तोगड़िया की नो-इंट्री

वैसे एक तथ्य ये भी है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वीएचपी नेता प्रवीण तोगड़िया की राज्य में इंट्री पर रोक लगा रखी है. पिछले चार साल से ममता ने प्रवीण तोगड़िया को प्रदेश में घुसने नहीं दिया. जबकि प्रवीण तोगड़िया ने कई बार बंगाल जाने की कोशिश की है, लेकिन ममता की नो इंट्री के चलते वे कामयाब नहीं हो सके. ये बात अलग है कि तोगड़िया की नो इंट्री पर बीजेपी ने कभी कोई एतराज जाहिर नहीं किया.

राहुल को सहारनपुर से मंदसौर तक रोका गया

ममता जैसे तेवर देश में दूसरे क्षत्रप भी अपनाए हुए हैं. उत्तर प्रदेश में योगीराज कायम है. पिछले दिनों सहारनपुर में दलितों और राजपूतों में टकराव का मामला सामने आया था. योगी सरकार की इसमें काफी किरकिरी हुई थी. ऐसे में राहुल गांधी सहारनपुर जाने के लिए रवाना हुए, लेकिन उन्हें यूपी के बॉर्डर पर ही रोक लिया गया. इसी तरह मध्य प्रदेश के मंदसौर में पुलिस फायरिंग में कई किसानों की मौत हो गई थी. राहुल गांधी मंदसौर भी जाना चाहते थे, लेकिन प्रदेश की शिवराज सरकार ने उन्हें जाने नहीं दिया.

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योगीराज में सहारनपुर नहीं जा सके अखिलेश

योगीराज में सिर्फ राहुल को ही सहारनपुर जाने से नहीं रोका गया, बल्कि समाजवादी पार्टी के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भी जाने नहीं दिया गया. अखिलेश जाने के लिए निकले ही थे कि यूपी पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. इस तरह अखिलेश यादव को सहारनपुर जाने से रोका गया.

सूरत में केजरीवाल के कार्यक्रम पर रोक

गुजरात में बीजेपी की सरकार पिछले 18 साल से है. पिछले साल दिल्ली के सीएम और आप पार्टी के राष्ट्रीकय संयोजक अरविंद केजरीवाल गुजरात के सूरत यात्रा का कार्यक्रम था, जिसे तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने नहीं होने दिया.  केजरीवाल ने तब कहा था कि लोकतंत्र में ऐसा नहीं होना चाहिए.

अखिलेश राज में ओवैसी की नो इंट्री

यूपी में 2012 से 2017 तक अखिलेश यादव सत्ता के सिंहासन पर काबिज थे. इस दौरान AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी को राज्य में अखिलेश ने नहीं आने दिया. पांच साल में उन्हें सूबे में किसी तरह का कोई कार्यक्रम नहीं करने दिया गया.

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