पश्चिम बंगाल में सोशल वेलफेयर पॉलिसी के लाभार्थियों से ‘कट मनी’ लेने वाले चुने गए जन प्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारियों को अब एक कड़े कानून के तहत आरोपी बनाया जाएगा, जिसमें दोषी ठहराये जाने पर आजीवन कारावास का प्रावधान है.
कट मनी मामले में दोषी पाए जाने वाले जनप्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 409 के तहत आरोपी बनाया जाएगा जो कि लोकसेवक, बैंकर, एजेंट द्वारा आपराधिक विश्वास हनन से संबंधित है.
इस कानून के तहत दोषी ठहराया जाने वाले व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा या जुर्माने के अलावा 10 वर्ष तक के कारावास की सजा हो सकती है. यह निर्णय पश्चिम बंगाल के कई इलाकों में हंगामे के बाद लिया गया है, जिसमें सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं को भीड़ ने घेर लिया था और उनसे ‘कट मनी’ वापस करने की मांग की थी.
कुछ नेताओं ने कट मनी लेकर सरकार की ओर से संचालित योजनाओं का लाभ दिलाने का वादा किया था. ममता बनर्जी ने 18 जून को तृणमूल पार्षदों की एक बैठक को संबोधित करते हुए उन्हें आदेश दिया था कि वे लाभार्थियों से लिया गया ‘कट मनी’ का कमीशन वापस करें.
हाल ही में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का दावा किया गया था कि सीएम ममता बनर्जी ने कथित तौर पर पुलिस से कहा है कि वे पीड़ितों को इसके लिए प्रोत्साहित करें कि वे ऐसे नेताओं और लोकसेवकों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराएं.
उन्होंने पुलिस से कथित तौर पर यह भी कहा है कि वे आम लोगों को प्रताड़ित न करें.
हाल ही में संपन्न एक मीटिंग में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि वह अपनी पार्टी में चोरों को नहीं रखना चाहती हैं. कुछ नेता ऐसा दावा कर रहे हैं कि गरीब लोगों को घर दिलाने के लिए 25 फीसदी कट मनी ले रहे हैं. यह तत्काल प्रभाव से रोकी जानी चाहिए.