पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी एक बार फिर विवादों में घिर गई हैं. इस बार मामला मुस्लिमों के पवित्र त्योहार रमजान और मक्का का है. दरअसल तृणमूल कांग्रेस ने रमजान के पवित्र महीने में सहरी और इफ्तार का एक टाइम टेबल छपवाया है, जिसमें ममता बनर्जी की तस्वीर भी छापी गई है. इस टाइम टेबल और उस पर छपी ममता की तस्वीर को लेकर मुस्लिम समुदाय में काफी रोष है.
बताया जा रहा है कि इस टाइम टेबल में जहां एक तरफ ममता बनर्जी मुस्लिम भाईयों को इस पवित्र त्योहार की बधाई दे रही हैं, वहीं उनके पीछे मक्का की तस्वीर लगाई गई है. मुस्लिमों का कहना है कि मक्का जैसी पवित्र जगह की तस्वीर पीछे छपवाकर सीधे-सीधे मुसलमानों का अपमान किया गया है. उनका कहना है कि ममता ने अपनी नमाज पढ़ते हुए तस्वीर छपवाकर ठीक नहीं किया है और ये मुस्लिम धर्म के खिलाफ है. मुस्लिम धर्म में किसी भी तस्वीर या मूर्ति का पूजन मना है.
दरअसल बर्दवान में तृणमूल कांग्रेस ने सहरी और इफ्तार की एक समय-सूची छपवाई है, जिसमें ममता की नमाज पढ़ते हुए तस्वीर फ्रंट पेज पर छपी है और सबसे बड़ी बात ये कि बैक पेज पर मक्का की तस्वीर छापी गई है. गौरतलब है कि मक्का मुसलमान का सबसे बड़ा धर्मस्थान है. बर्दवान के मुसलमानों का कहना है कि ये मक्का की तौहीन है. और तो और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इफ्तार पार्टी आयोजन पर भी बर्दवान के मुस्लिमों को ऐतराज हे. उनका कहना है कि ममता ढोंगी हैं, ड्रामा कर रही हैं और उन्हें इस तरह की राजनीति बंद करनी चाहिए.
मुस्लिम धर्म गुरुओं का कहना है कि लीफलेट छपवाना ममता का एक पब्लिसिटी स्टंट है. उनका कहना है कि मक्का हमारा धार्मिक स्थान है और उसे लीफलेट पर पीछे छापना उसका अपमान है, उसे पहले पेज पर छापना चाहिए था. वे कहते हैं, ममता बनर्जी अक्सर कहती हैं कि वो मुस्लिम धर्म को मानती हैं, लेकिन वो दिल से नहीं मानतीं.