तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई इस वक्त भीषण जल संकट का सामना कर रही है. इस जल संकट को देखकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी सतर्क हो गईं हैं. चेन्नई जैसा कोलकाता का हाल न हो जाए इस लिए ममता बनर्जी शुक्रवार को पानी बचाने का संदेश देने के लिए पदयात्रा करेंगी. इस पदयात्रा के जरिए महानगर के लोगों को वो जल संरक्षण के प्रति जागरूक करेंगी.
ममता बनर्जी अपनी पदयात्रा का आगाज रवींद्रनाथ टैगोर के पुश्तैनी घर जोड़ासांकू से शाम दो बजे करेंगी. इसके बाद ममता बनर्जी कोलकाता की सड़कों से होते हुए अपनी यात्रा का समापन गांधी प्रतिमा पर करेंगी. ममता की 5 किमी की जल बचाओ पदयात्रा में स्कूली छात्र, युवा और एनजीओ से जुड़े हुए लोग शामिल होंगे.
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात में जल संकट से निपटने के लिए लोगों से वर्षा जल के संरक्षण को स्वच्छता की ही तरह जनआंदोलन बनाने की आपील की थी. ममता बनर्जी जल संरक्षण के लिए पदयात्रा पर निकलने वाली पहली मुख्यमंत्री हैं.
हालांकि ममता बनर्जी लंबे समय से पानी और पर्यावरण की दिशा में कई कदम उठा चुकी हैं. ममता सरकार जल संरक्षण के लिए 'जल धरो, जल भरो' योजना चला रही हैं. इससे पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि 2011 में सरकार बनने के बाद विगत आठ सालों में तीन लाख से अधिक तालाब खोदे गए हैं. इसके कारण वर्षा जल संचयन संभव हो सका है और बाढ़ के प्रकोप को रोका जा सका है.
गौरतलब है कि इन दिनों चेन्नई में पानी का संकट गहराया हुआ है. चेन्नई में वैसे ही कम बारिश होती है लेकिन इस बार बिल्कुल नहीं होने के कारण पानी का संकट गहरा गया है. शहर के पास पानी का अपना कोई सोर्स नहीं बचा है. कई ऑफिस बंद कर दिए गए, कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए कहा गया. पानी के संकट को लेकर डीएमके नेताओं ने शहर में पदयात्रा करने से लेकर लोकसभा तक में आवाज उठाई .
हालात यह हो गए कि पानी खरीदने में लोगों को 1500 से 2000 तक खर्च करने पड़ रहे हैं. नीति आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक पानी खत्म होने की कगार पर आ जाएगा. इस किल्लत का सामना सबसे ज्यादा दिल्ली, बंगलुरु, चेन्नई और हैदराबाद के लोगों को करना पड़ेगा. रिपोर्ट के अनुसार 2020 से ही पानी की परेशानी शुरू हो जाएगी. यानी कुछ समय बाद ही करीब 10 करोड़ लोग पानी के कारण परेशानी उठाएंगे.